गुरुवार की सुबह इस परिवार के लिए खुशियों का पैगाम लेकर आई और लापता बेटे जगदीश को अपनी आंखों के सामने देखकर माता-पिता की आंखों से खुशियों की अश्रुधारा बहने लगी। फिर जैसे ही माहौल सामान्य हुआ तो जगदीश को उसके घर तक पहुंचाने गए अपनाघर आश्रम के सेवा साथी दीपू से बेटे के बारे में सारे समाचार पूछे।
बाद में बेटे के सकुशल घर लौटने पर मां ने पूरे गांव मे गुड़ बंटवाया। साथ ही आठ माह तक जगदीश की देखभाल करने और उसे स्वस्थ करके घर तक पहुंचाने के लिए नोखा के अपना घर आश्रम का आभार व्यक्त किया।
नोखा रेलवे स्टेशन पर मिला था जगदीश अपनाघर आश्रम की अध्यक्ष किरण झंवर ने बताया कि जगदीश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह बिना बताए ही घर से निकल गए थे। १६ सितंबर २०१८ को नोखा के रेलवे स्टेशन पर जगदीश को लावारिश हालात में घूमते हुए देखा तो ओमप्रकाश मूंधड़ा ने इसकी सूचना आश्रम के पदाधिकारियों को दी।
सूचना पर आश्रम के लोग जगदीश को अपने साथ ले आए और उसका उपचार शुरू कर दिया गया। डॉ. अनंत राठी के नेतृत्व में जगदीश का ४-५ माह तक इलाज किया गया तो उसकी मानसिक स्थिति में सुधार हुआ और उसने अपना गांव वोहरा वद चीखोद्र आणंद गुजरात में और पिता का नाम परमार होना बताया।
आश्रम के पदाधिकारियों ने जगदीश के पिता से संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। लेकिन जगदीश का कहना था कि उसे गांव भेजा जाए तो वह अपना घर पहचान लेगा। इस पर आश्रम ने उसे घर भेजने का निर्णय लिया और सेवा साथी दीपू के साथ गांव भेजा, तो जगदीश ने अपने घर को पहचान लिया और उसके माता-पिता भी बेटे को देखकर खुश हुए।