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बीकानेर

पैरोडी गीत व नारों से बढ़ी चुनावी रंगत

निकाय चुनाव: प्रत्याशियों ने प्रचार में लगाई ताकत, गली-मोहल्लों में गूंज रहे गीत व नारे

बीकानेरNov 13, 2019 / 01:27 am

Hari

पैरोडी गीत व नारों से बढ़ी चुनावी रंगत

पैरोडी गीत व नारों से बढ़ी चुनावी रंगत

बीकानेर. निकाय चुनाव को लेकर पूरा शहर चुनावी रंग से सराबोर हो गया है। गली-मोहल्लों से कॉलोनियों तक व चाय-पान की दुकानों से पाटों -घूणो पर हर तरफ चुनावी चर्चाए है। चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों व समर्थकों के चुनाव प्रचार के साथ-साथ पार्टियों व प्रत्याशियों के नारो की गूंज गली-मोहल्लों में है।

वहीं चुनावी पैरोडी गीत भी चुनावी रंगत को परवान चढ़ा रहे है। चुनाव प्रचार में लगे वाहनों और चुनाव कार्यालयों में ये चुनावी पैरोडी गीत प्रमुखता से बज रहे है। सोशल मीडिया के माध्यम से हर व्यक्ति तक हिन्दी व राजस्थानी गीतों की धुनों पर तैयार चुनावी गीत पहुंच रहे है। ‘वार्ड सूं आवे एक आवाजÓ ‘१६ तारीख आई भाई होसी मतदानÓ सरीखे पैरोडी गीतों को लोग पसंद कर रहे है।

ध्यान राखणौ है…
निकाय चुनाव को लेकर लगभग हर व्यक्ति चुनाव के रंग से रंगा नजर आ रहा है। भले ही वह चुनाव मैदान में नहीं उतरा हो, लेकिन गली-मोहल्ले, घर-परिवार, सगा-संबंधी अथवा मित्र मंडली या किसी पार्टी से चुनाव मैदान में उतरे प्रत्याशियों के समर्थन में वोट मांगने का सिलसिला चल रहा है। एेसे में सुबह से देर रात तक मिलने वाले जान-पहचान के लोगों से ‘ध्यान राखणौ है ‘ के स्वर के साथ प्रत्याशी के लिए वोट और समर्थन मांगा जा रहा है।

चाय की चुस्की, नाश्ते का आनन्द
लगभग हर गली-मोहल्ले में खुल चुके चुनावी कार्यालयो में चुनाव प्रचार के साथ-साथ खाने-पीने और नाश्तों के दौर भी चल रहे है। एेसे में खाने -पीने के शौकीन लोगों की बल्ले-बल्ले हो गई है। राजनीति और पार्टियों की विचाराधारा से कहीं दूर ये एक चुनाव कार्यालय से दूसरे चुनाव कार्यालय और तीसरे में पहुंचकर न केवल चाय की चुस्कियों के साथ चुनावी चर्चाओं में व्यस्त हैं, बल्कि चाय के साथ चल रहे नाश्तों का भी आनन्द ले रहे है।

हर किसी की अपनी गणित
चुनाव को लेकर भले ही १६ नवम्बर को मतदान होना है, लेकिन शहर में हर गली, नुक्कड़ और पाटों पर चल रही चुनावी चर्चाओं में प्रत्याशियों की जीत-हार के साथ-साथ निगम में बोर्ड को लेकर अपनी-अपनी गणित से आंकडे बताने का सिलसिला चल रहा है। किसकी गणित कितनी सटीक बैठती है, यह तो १९ नवम्बर को होने वाली मतगणना के बाद ही सामने आए पाएगी, लेकिन हाथ में कागज लिए और सिलसिलेवार वार्डो की स्थिति बयां करते इन लोगों की चुनावी गणित को लोग बड़े ध्यान से सुन रहे है।

कर रहे कई जतन
निकाय चुनाव को लेकर सुबह से देर रात तक चल रहे प्रचार के साथ-साथ मतदाताओं के दिलों पर छाएं व उनका प्रभाव बढ़े इसके लिए कई प्रत्याशी आस्था के साथ कई जतन भी कर रहे है। चुनाव प्रचार में निकलने से पहले कई प्रत्याशी जहां देवी-देवताओं का पूजन कर प्रचार के लिए निकल रहे हैं, वहीं कई प्रत्याशी ललाट पर केशर अथवा कुमकुम अक्षत से तिलक लगाना नहीं भूल रहे है।

गीत-कविताओं की परम्परा
बीकानेर में चुनाव किसी उत्सव से कम नहीं होता है। हर खास व आम लोकतंत्र के इस उत्सव में बढ चढ कर हिस्सा लेते है। चुनाव चाहे लोकसभा का हो, विधानसभा या निकाय का, यहां के कवि, गीतकार व गायक कलाकारों ने अपनी कलम और आवाज के माध्यम से चुनावी रंगत को परवान पर चढ़ाया है। नटवर लाल व्यास बताते है कि कवि बुलाकी दास बावरा, शिवदयाल व्यास (बुई महाराज), झमणसा जोशी, काशीनाथ सुथार, भीम पांडिया सहित कई कवियो व गीतकारों ने अपने गीत-कविताओं के माध्यम से चुनावों में उत्सव के रंग भरे। कई कवियों और गीतकारों की ओर से लिखे गए गीत व कविताएं दशकों बाद आज भी लोगों को याद है।

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