यह है 77 साल का हासिल-हिसाब आजादी के बाद के 77 सालों के इतिहास को देखें, तो खेल सुविधाओं के नाम पर संभाग मुख्यालय मूलभूत आवश्यकताओं को ही तरसता रहा है। साइकिलिस्ट वेलोड्रम की बजाय जैसलमेर रोड पर प्रैक्टिस करते हुए दिखते हैं। तीरंदाज एमएम ग्राउंड पर निजी स्तर पर जुटाई सुविधाओं से प्रैक्टिस करते दिखेंगे। सीमित रेंज में निशानेबाजी की प्रैक्टिस खेल सुविधाओं की कड़वी कहानी बयां करती दिखाई देती हैं। राजगढ़ और चूरू के अलावा गंगानगर में सिंथेटिक एथलेटिक्स ट्रैक हैं, लेकिन संभाग मुख्यालय अब तक इंतजार ही करता रहा।
मैदानों के हाल करणी सिंह स्टेडियम इंडोर बैडमिंटन, टेबल टेनिस की सुविधाएं, क्षतिग्रस्त बॉस्केटबॉल मैदान, यहां वहां उखड़ा पड़ा वेलोड्रम, क्षतिग्रस्त ट्रैक और फुटबॉल का रेतीला मैदान। फिलहाल बहुद्देश्यीय हॉल निर्माणाधीन। शार्दूल क्लबः ट्रस्ट की संपत्ति होने के कारण क्रिकेट, टेनिस, बॉस्केटबाल, टेबल टेनिस एवं बैडमिंटन की सुविधाएं, लेकिन आम पहुंच सीमित।एमएम ग्राउंड: मैदान अच्छा, लेकिन भ्रमण पथ के अलावा कोई उपयोग नहीं।
पुष्करणा स्टेडियम: बैडमिंटन हॉल एवं फुटबॉल का मैदान, लेकिन देखभाल के अभाव में खास उपयोग नहीं। एक क्रिकेट एकेडमी का संचालन हाल ही में शुरू। महाराजा गंगा सिंह विवि: साइकिलिंग वेलोड्रम, इंडोर हॉल, लेकिन न तो शारीरिक शिक्षा विभाग, न ही कोई सु्विधा। छात्रों को बीबीएड, एमएड भी बाहर से करनी पड़ रही।
राज. डूंगर महाविद्यालय: राज्य का सबसे अधिक छात्रों वाला और सबसे अधिक खिलाड़ी देने वाला महाविद्यालय। वॉलीबाल एवं बॉस्केटबाल का सिंथेटिक कोर्ट, बाकी कोई व्यवस्था नहीं। शारीरिक शिक्षक तक नहीं। रेलवे स्टेडियम: घासयुक्त एकमात्र हरा-भरा स्टेडियम। क्रिकेट-बॉस्केटबाल सहित इंडोर खेल सुविधाएं। लेकिन आम प्रवेश नहीं।
एमएम ग्राउंड: तरणताल था। अब बंद पड़ा। तीरंदाजी प्रशिक्षण का स्थान। सुविधाएं सीमित। एसकेआरएयू: एथलेटिक्स ट्रैक, इंडोर हॉल। शहर से दूरी, इस कारण उपयोग में कमी। वेटरनरी विवि: टेनिस कोर्ट, घुड़सवारी की व्यवस्था।शार्दूल स्पोर्ट्स स्कूल: निर्माणाधीन एथलेटिक्स ट्रैक, हॉकी की व्यवस्था। लेकिन प्रशिक्षकों का अभाव।
कैसे चक दें… एक मशहूर फिल्म है चक दे इंडिया। वर्ष 2007 में रिलीज हुई। फिल्म का एक सीन है…महिला हॉकी का खेल मैदान, जहां खेलों के अलावा हर ÒखेलÓ होता था। इसमें राजनीतिक कार्यक्रम, सभाएं, जागरण आदि भी शामिल थे। ऐसा ही हाल यहां के करणी सिंह स्टेडियम का रहा। जहां लगभग सभी राज्य स्तरीय समारोह होते रहे। छोटे-मोटे आयोजन पूरे वर्ष चलते रहते हैं। इनकी संख्या खेल गतिविधियों से कहीं अधिक रहती है।
वह खेल, जिसमें बीकानेर के खिलाड़ी लहरा सकते हैं परचम एथलेटिक्स, तीरंदाजी, साइकिलिंग, शूटिंग, बॉल बैडमिंटन, बॉस्केटबॉल, फुटबॉल, शारीरिक शौष्ठव, क्रिकेट, कबड्डी, हॉकी।टॉपिक एक्सपर्ट सिर्फ सुविधाएं और सम्मान चाहिए पॉलिटेक्निक कॉलेज के खेल अधिकारी एवं पूर्व खेल निदेशक महाराजा गंगा सिंह विवि, बीकानेर के डॉ. शंकरलाल प्रजापत कहते हैं बीकानेर क्षेत्र खेलों की दृष्टि से हमेशा अव्वल रहा है। यहां पर खेल सुविधाएं जैसी भी रही हों, लेकिन प्रदर्शन हमेशा उत्कृष्ट रहा है। यहां का युवा खेल के लिए माइग्रेट कर रहा है। हरियाणा, पंजाब के विवि में प्रवेश ले रहा है। वहां मेडल प्राप्त कर रहा है। यहां का युवा ताकतवर है। मेहनती है। कुछ कर गुजरने की क्षमता रखता है। उसे बस सुविधाओं और सम्मान की दरकार है।