जुलाई से बकाया
बीकानेर जिले में 1098 प्राथमिक, 463 उच्च प्राथमिक, 119 माध्यमिक व 255 उच्च माध्यमिक सहित 1935 विद्यालय संचालित है। जिले में जुलाई से पोषाहार पकाने की राशि का भुगतान बकाया चल रहा है। शिक्षक अपनी जेब से राशि खर्च कर चार माह से पोषाहार पका रहे हैं। शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश बिश्नोई ने कहा कि भोजन पकाने के लिए गेहूं व चावल का आवंटन भारतीय खाद्य निगम से होता है।
बीकानेर जिले में 1098 प्राथमिक, 463 उच्च प्राथमिक, 119 माध्यमिक व 255 उच्च माध्यमिक सहित 1935 विद्यालय संचालित है। जिले में जुलाई से पोषाहार पकाने की राशि का भुगतान बकाया चल रहा है। शिक्षक अपनी जेब से राशि खर्च कर चार माह से पोषाहार पका रहे हैं। शिक्षक संघ राष्ट्रीय के जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश बिश्नोई ने कहा कि भोजन पकाने के लिए गेहूं व चावल का आवंटन भारतीय खाद्य निगम से होता है।
भोजन पकाने के लिए दाल, सब्जी, मसाले, तेल के लिए प्रति छात्र कक्षा 1 से 5 तक 4.13 रुपए तथा कक्षा 6 से 8 तक 6.18 रुपए मिलते हैं। इसके लिए महीने की समाप्ति पर विद्यालय अपना उपयोगिता प्रमाण पत्र संबंधित ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय भिजवाता है। ब्लॉक के समस्त विद्यालयों का समेकित उपयोगिता प्रमाण पत्र जिला शिक्षा अधिकारी बीकानेर भिजवाता है।
जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से उपयोगिता प्रमाण पत्र के आधार पर संबंधित ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय को राशि जारी की जाती है। ब्लॉक शिक्षा अधिकारी संबंधित विद्यालय के एसएमसी खाते में राशि जमा कराता है। तब पोषाहार पकाने की राशि का भुगतान हो पाता है।
आदेशों की नहीं हो रही पालना
चार माह से विद्यालयों को पोषाहार पकाने की राशि का इंतजार है। जबकि प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग के आदेश है कि विद्यालयों को पोषाहार पकाने के लिए तीन माह की राशि अग्रिम उपलब्ध कराई जाए तथा दो माह की राशि हर हाल में विद्यालयों के पास अग्रिम उपलब्ध हो लेकिन यहां अग्रिम राशि की बात करना बेमानी है,
चार माह से विद्यालयों को पोषाहार पकाने की राशि का इंतजार है। जबकि प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण एवं पंचायती राज विभाग के आदेश है कि विद्यालयों को पोषाहार पकाने के लिए तीन माह की राशि अग्रिम उपलब्ध कराई जाए तथा दो माह की राशि हर हाल में विद्यालयों के पास अग्रिम उपलब्ध हो लेकिन यहां अग्रिम राशि की बात करना बेमानी है,
यहां तो पिछले चार माह से विद्यालयों को भुगतान ही नहीं हो पाया है। जबकि पर्याप्त बजट जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में उपलब्ध होते हुए भी विद्यालयों को पोषाहार पकाने की राशि उपलब्ध नहीं कराना संवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। इससे बुरे हाल भोजन पकाने वाले कुक कम हेल्पर के हैं। इन्हें मात्र 1200 रुपए प्रतिमाह मानदेय मिलता है, उनका मानदेय भी सितम्बर से बकाया चल रहा है।