इस बार मिठाइयों की दुकानों की जांच का मामला ठंडे बस्ते में नजर आ रहा है, क्योंकि विभाग के पास पर्याप्त खाद्य सुरक्षा अधिकारी नहीं हैं।
बीकानेर में श्राद्धपक्ष से दीपावली तक त्योहारी सीजन में मिठाइयों की खपत १० से १५ फीसदी बढ़ जाती है। ऐसे में मिठाइयों को आकर्षक बनाने के लिए रंगों का इस्तेमाल होता है, वहीं चीनी भी अधिक होती है। यह मिठाइयां सेहत के लिए नुकसानदायक हो सकती हैं। देशी घी के नाम पर पॉम ऑयल से तैयार नकली घी की मिठाइयां तैयार की जाती हैं। मिठाइयों में नकली घी से लेकर नकली मावा, सिथेंटिक रंग, दूध, पॉम आयल का जमकर इस्तेमाल होता है।
स्वास्थ्य विभाग में खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी है। पहले दो खाद्य सुरक्षा अधिकारी थे, जिनमें से एक पहले और दूसरे पिछले महीने सेवानिवृत्त हो गए। अब विभाग के पास कोई खाद्य सुरक्षा अधिकारी नहीं हैं। ऐसे में खाद्य सामग्री की जांच रामभरोसे हैं। शहर में मिठाई की 10 से 15 हजार दुकानें हैं। खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी के चलते सभी दुकानों का निरीक्षण भी नहीं हो पाता है।
नकली मिठाइयों का काम करने वाले कारोबारियों में खाद्य सुरक्षा कानून का खौफ नहीं है। इसकी वजह है कि स्वास्थ्य विभाग शहर में खाद्य पदार्थों की जांच करने के लिए पहुंचता ही नहीं है। केवल होली-दीपावली पर स्वास्थ्य विभाग मिलावट के खिलाफ अभियान चलाकर खानापूर्ति कर लेता है।
खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की कमी है। इसके चलते नियमित जांचें नहीं हो पा रही है। सोमवार से अभियान चलाकर अस्थाई मिठाई की दुकानों में बेची जाने वाली खाद्य सामग्र की जांच की जाएगी।
डॉ. देवेन्द्र चौधरी, सीएमएचओ
डॉ. सुरेन्द्र कुमार वर्मा, फिजिशियन, पीबीएम अस्पताल