चालक के अभाव में एम्बुलेंस के पहिए जाम, ग्रामीण परेशान
केन्द्र एवं राज्य सरकार सुरक्षित जच्चा बच्चा एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियानों के द्वारा स्वास्थ्य सेवाएं दे रही।

सूडसर. केन्द्र एवं राज्य सरकार सुरक्षित जच्चा बच्चा एवं सुरक्षित संस्थागत प्रसव और प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियानों के द्वारा स्वास्थ्य सेवाएं दे रही हैं। इसके लिए 108 और 104 जैसी आपातकालीन एम्बुलेंस सेवाएंं भी उपलब्ध हैं लेकिन धरातल पर व्यवस्थाओं की कहानी कुछ अलग है। ग्रामीण अंचलों में ये दावे महज कागजी एवं खोखले साबित हो रहे हैं।
गांवों में आदर्श पीएचसी का ठप्पा लगाकर छोड़ दिया गया है। अधिकतर आदर्श पीएचसी तो अतिरिक्त प्रभार के चिकित्सकों? के भरोसे संचालित है और नर्सिंग व लैब टेक्नीशियन स्टाफ का अभाव भी बना हुआ है और ग्रामीण अंचलों में प्रसुताओं के लिए लाइफ लाइन कहीं जाने वाली 108 व 104 एंबुलेंस सेवाएं भी बीमार चल रही हैं। कहीं चालक स्टाफ का अभाव है, तो कहीं पर ये सेवाएं आफरोड हैं। कहीं पर तो गैराज में खटारा खड़ी हैं।
ऐसा ही हाल बादनूं आदर्श पीएचसी के जननी सुरक्षा सेवा-104 एम्बुलेंस सेवा का है। इस पीएचसी के तहत आने वाले गांवों के लोगों को आपातकालीन समय में एम्बुलेंस की सुविधा नहीं मिल रही है। ग्रामीण प्रसुताओं को निजी साधनों से इलाज के लिए लाने, लेजाने को मजबूर हैं। गत एक सप्ताह से बादनूं पीएचसी की 104 एंबुलेंस ड्राइवर के बिना खड़ी हैं। ऐसे में एम्बुलेंस के होते हुए भी सुविधा नहीं मिल पा रही हैं।
ऐसा ही हाल अन्य पीएचसी केन्द्रों पर है। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान के शिविर में दुलचासर आदर्श पीएचसी पर शुक्रवार को प्रसुताओं को लिखमीसर क्षेत्र से बीदासर (चुरू) की 108 एम्बुलेंस लेकर पहुंची। दुलचासर पीएचसी में एम्बुलेंस पर अत्यधिक? बार होने से अन्य जगहों से एक बुलाकर रैफर प्रसुताओं को बीकानेर पीबीएम अस्पताल पहुंचाया गया।
दुलचासर के सरपंच गिरधारीलाल महिया ने एकल चालक के भरोसे संचालित जननी सुरक्षा - 108 व 104 एंबुलेंस सेवाओं में सुधारकर तीन-तीन चालक रखने एवं एम्बुलेंस के रख-रखाव व मरम्मत आदि का दायित्व संचालित करने वाली स्थानीय सीएचसी-पीएचसी प्रभारियों को देने की मांग राज्य सरकार से की है। इससे ग्रामीण अंचलों की प्रसुताओं को दुविधाएं झेलनी पड़े।
नहीं मिल रहा १०४ एम्बुलेंस सेवा का लाभ
मंडी 465 आरडी. दामोलाई के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कार्यरत जननी सुरक्षा वाहन 104 एम्बुलेंस काफी पुरानी है। इससे ग्रामीणों को इसका पूरा लाभ नही मिल पाता है। कृष्णनगर सरपंच सहीराम मेघवाल व तख्तपुरा सरपंच प्रतिनिधि पूर्णाराम थालोड़ ने बताया कि यह वाहन रेतीले तथा दुर्गम रास्तों पर जा नही पाती है। जबकि इस क्षेत्र में अधिकांश ग्रामीण ढाणियों में निवास करते है तथा नहरी क्षेत्र होने के कारण लोग अपने खेतों में रहते है। जहां पर उबड़ खाबड़ कच्चे रास्ते हैं।
इस पीएचसी के अधीन करीब 40 किमी का दायरा आता है। जहां पर मरीजों को लाने के लिए अन्य कोई सुविधा नही है। गर्भवती महिला को प्रसव के लिए पीएचसी पर आने के लिए निजी वाहनों की सेवा लेनी पड़ती है। सरपंच मेघवाल ने बताया कि पीएचसी में नई गाड़ी देने के लिए पिछले दिनों जिला कलक्टर व मुख्य चिकित्सा अधिकारी को ज्ञापन देकर मांग की गई ताकि प्रसूताओं को जननी सुरक्षा सेवाओं का लाभ
मिल सके।
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