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बीकानेर

बॉर्डर से प्रशासन तक की कमान अब महिलाओं के हाथ

महिलाएं अब बॉर्डर की पहरेदारी से लेकर प्रशासन की कमान संभालने तक हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज करवा रही हैं। बीकानेर जिले में प्रशासनिक अधिकारी और जनप्रतिनिधि के रूप में महत्वपूर्ण पदों पर महिलाएं हैं। महिलाएं जोखिम के उन कामों में भी हाथ डालने से नहीं कतराती, जिन्हें कभी पुरुषों के वर्चस्व वाले काम माने जाते थे। अंधेरी रात में सुनसान बॉर्डर पर कंधे पर राइफल उठाकर पहरा देने की जिम्मेदारी हो अथवा लाखों-करोड़ों के वित्तीय प्रबंधन की, वे पीछे नहीं हटती। वे पुरुषों से ज्यादा बेहतर ढंग से काम करने की कोशिश करती हैं। आज महिला दिवस पर एेसे ही कुछ उदाहरण प्रस्तुत करती महिलाओं पर दिनेश स्वामी, विमल छंगाणी, निखिल स्वामी की रिपोर्ट –

बीकानेरMar 08, 2019 / 09:55 am

dinesh kumar swami

International Women's Day 2019

बॉर्डर से प्रशासन तक की कमान अब महिलाओं के हाथ

कोई क्या सोचेगा इसकी जगह खुद की क्षमता पर भरोसा करें- तनुश्री पारीक

बीएसएफ में देश की पहली महिला कमांडो प्रशिक्षित अधिकारी हैं पारीक
बीकानेर . महिलाएं कोई क्या सोचेगा या क्या बोलेगा, इसकी परवाह नहीं कर खुद की क्षमता पर भरोसा करें। वे खुद पसंद का क्षेत्र चुनकर आगे बढऩे का प्रयास करेंगी तो जरूर सफल होंगी। यह कहना है बीएसएफ की पहली महिला अधिकारी असिस्टेंट कमांडेंट तनुश्री पारीक का। मूलत: बीकानेर निवासी तनुश्री बीएसएफ की एेसी पहली महिला ऑफिसर भी बन गई हैं जो कमांडो प्रशिक्षण ले रही है।अभी मध्यप्रदेश के ग्वालियर स्थित टीकनपुर में १० सप्ताह की कमांडो ट्रेनिंग कर रही तनुश्री ५३ कमांडो प्रशिक्षणार्थियों में अकेली महिला अधिकारी हैं। वे पुरुषों के वर्चस्व वाले अद्र्धसैनिक बल के क्षेत्र में पहली महिला ऑफिसर के रूप में खुद को सफल साबित कर रही हैं।

इस पर तनुश्री कहती हैं कि समाज आज भी महिलाओं को १० से ५ बजे तक ड्यूटी वाली नौकरियों के लिए प्रोत्साहित करता है, ताकि वह सुबह और घर में चौके-चूल्हे की जिम्मेदारी उठाए। यह भी ठीक है, लेकिन एक महिला के नाते मेरा कहना है कि आईने के सामने पांच मिनट खड़े होकर गलत-सही पर चिंतन करें। बड़ों का आदर और छोटों से प्रेम करें तो कुछ भी गलत नहीं होगा।
सीमा चौकियों का नेतृत्व भी नारी शक्ति के हाथ
बीकानेर सेक्टर में २०० महिला प्रहरी करती हैं सरहद पर ड्यूटी
बीकानेर . महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का लोह मनवा रही हैं। वे देश की सुरक्षा और विषम परिस्थिति में बॉर्डर पर ड्यूटी संभालने में भी गुरेज नहीं कर रही। रेगिस्तानी इलाके वाले बीएसएफ के बीकानेर सेक्टर में महिला प्रहरी भीषण गर्मी और कड़ाके की सर्दी में बॉर्डर पहरा देने की कठिन जिम्मेदारी को बखूबी अंजाम दे रही हैं। वहीं उपनिरीक्षक और सहायक उपनिरीक्षक स्तर की पांच महिला प्रहरी तो बॉर्डर पर चौकी प्रभारी जैसी जिम्मेदारी उठा रही हैं। बीकानेर जिले से सटी १६० किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ के चौकस सीमा प्रहरियों में २०० महिला प्रहरी दिन-रात ड्यूटी कर रही हैं। बीएसएफ में साल २००९ में महिला कार्मिकों का पहला बैच ड्यूटी पर आया था। इसके बाद लगातार भर्तियों में महिलाओं की संख्या बढ़ती गई है। अब प्रत्येक सेक्टर में करीब दो से ढाई सौ महिलाएं पश्चिमी सरहद पर बीएसएफ के पास हैं।
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