कांग्रेस पार्षदों में नेता प्रतिपक्ष के लिए चल रही रसाकसी का खमियाजा शहर की जनता भुगत रही है। जिस दमदार विपक्ष के माध्यम से निगम में आमजन की समस्याएं नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में रखी जानी होती है वह धार विपक्ष में अब तक नजर नहीं आ रही है। वहीं एक साल से महापौर अपने वित्तीय और प्रशासनिकअधिकारों के लिए लड रही है। जबकि पक्ष और विपक्ष के पार्षदों (Councilor) में चल रही आपसी खींचतान (Pulls) कई बार सार्वजनिक हो चुकी है।
धड़ेबंदी में उलझे पार्षद
नगर निगम ( bikaner nagar nigam) चुनाव के बाद से ही पक्ष और विपक्ष के पार्षद आपसी धड़ेबंदी में उलझे हुए है। सत्तारूढ भाजपा बोर्ड (BJP Board) में भी भाजपा पार्षदों में आपसी धड़ेबंदी कई बार सार्वजनिक हो चुकी है। अपनी ही पार्टी की महापौर के विरुद्ध सार्वजनिक बयानबाजी व नाराजगी तक जता चुके है। वहीं विपक्ष कांग्रेस के पार्षद भी नेता प्रतिपक्ष के मुद्दे को लेकर दो धड़ो मे बंटे नजर आ रहे है। कई बार जयपुर तक दौड़ लगाने के साथ दोनो धड़े अपना-अपना शक्ति प्रदर्शन कर चुके है।
डीएलबी तक पहुंचा अधिकारों का मुद्दा
महापौर सुशीला राजपुरोहित के पदभार ग्रहण करने के बाद से ही महापौर (Mayor) के वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों का मुद्दा गर्माया रहा है। महापौर और डीएलबी (DLB) के पत्रों से अधिकारों पर कई बार आमने सामने की स्थितियां बन चुकी है। तल्ख बयानबाजी भी हो चुकी है। महापौर के पास फाइले भेजने से पहले आयुक्त की अनुमति तक के आदेश डीएलबी जारी कर चुका है।
आपसी खींचतान हावी
नगर निगम में पिछले एक साल से आपसी खींचतान हावी है। रघुकुल रीत सदा चली आई के तहत महापौर और आयुक्त के बीच मनमुटाव इस बोर्ड में जारी रहा। पूर्व आयुक्त खुशाल यादव के कार्यकाल में महापौर व आयुक्त के बीच रहा मनमुटाव सार्वजनिक रहा। महापौर का अधिकारियों और कर्मचारियों से मनमुटाव कई बार सामने आया। दो बार तो मामला पुलिस थाने तक भी पहुंच गया।