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बीकानेर

बेटी का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाई मां

रतनगढ़ ननिहाल गई हुई थी दीपिका

बीकानेरMar 28, 2020 / 09:16 am

Jai Prakash Gahlot

बेटी का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाई मां

बेटी का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाई मां

बीकानेर। कोरोना महामारी का संक्रमण रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के कारण यहां की एक मां अपनी बेटी का अंतिम दर्शन भी नहीं कर पाई। कोरोना के कारण स्कूल बंद होने पर यह बच्ची पिता के साथ अपने ननिहाल रतनगढ़ (चूरू) चली गई थी। वहां मंगलवार को सिढिय़ों से गिरने से मौत होने के बाद मां और भाई को लॉकडाउन के कारण रतनगढ़ वाहन ले जाने की इजाजत नहीं मिल पाई।
परिजनों मां व भाई का इंतजार करते रहे लेकिन वे जब बुधवार को भी नहीं पहुंचे तो शाम को अंतिम संस्कार कर दिया। जिला परिवहन कार्यालय की संवेदनहीनता को लेकर शुक्रवार को परिजनों ने हंगामा किया तब कहीं जाकर जिला परिवहन कार्यालय ने अनुमति जारी की। उसके बाद बच्ची की मां, भाई और अन्य परिजन रतनगढ़ रवाना हुए। जब वे रतनगढ़ पहुंचे तो उन्हें पता चला कि बच्ची का अंतिम संस्कार कर दिया। इसके बाद मां व भाई की रुलाई फूट पड़ी। परिजनों ने उन्हें ढांढ़स बंधाया लेकिन मां का रो-रो कर बुरा हाल था।
रेलवेे क्वार्टर निवासी महेश कुमार राणा रतनगढ़ गए थे। लॉकडाउन के कारण उन्हें अपनी ससुराल में ठहरना पड़ा। २४ मार्च को घर में खेलते समय उनकी १३ वर्षीय बेटी सिढिय़ों से गिर गई, जिससे उसकी मौत हो गई। मृतक दिपीका की मां यहां बीकानेर में अपने बेटे अभिषेक के साथ थी। उन्हें बच्ची के अंतिम संस्कार में शामिल होना था लेकिन परिवहन विभाग की संवेदनहीनता के चलते वे संस्कार में शामिल नहीं हो सके। उन्होंने २५ मार्च को जिला परिवहन अधिकारी को वाहन से जाने की अनुमति मांगी लेकिन नहीं दी गई। उनके प्रार्थना-पत्र को परमिशन नोट अप्रूव्ड कर दिया गया। मृतका का भाई अभिषेक तीन दिन से अनुमति के लिए चक्कर काट रहा था। शुक्रवार को परिजनों ने पार्षद मनोज बिश्नोई को पीड़ा बताई। तब पार्षद बिश्नोई ने जिला परिवहन अधिकारी से वार्ता की और उन्हें मौत जैसे संवेदन मुद्दे पर भी परमिशन नहीं देने पर रोष जताया। साथ ही उन्होंने परमिशन नहीं देने पर धरना देने की चेतावनी दी।
चेतावनी के बाद १५ मिनट में मिल गई परमिशन
मृतका के भाई अभिषेक ने बताया कि दो दिन वाहन ले जाने की परमिशन मांग रहे थे लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। शुक्रवार को पार्षद मनोज बिश्नोई से परमिशन दिलाने की गुहाार लगाई। उन्होंने जिला परिवहन अधिकारियों से वार्ता की। अधिकारियों के आनाकानी करने पर पार्षद ने धरना देने की चेतावनी दी तब अधिकारियों ने महज १५ मिनट में परमिशन दे दी। इसके बाद परिजन करीब ढाई बजे रतनगढ़ के लिए रवाना हो रहे थे। तभी मृतका की मां की तबियत बिगड़ गई, जिन्हें निजी अस्पताल ले गए। बाद में दोपहर तीन बजे परिजन रतनगढ़ के लिए रवाना हुए।
अधिकारी हो रहे संवेदनहीन
दो दिन से परिजन रतनगढ़ जाने की अनुमति मांग रहे थे लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों ने नहीं दी। घर में किसी मौत होने जैसे कारण पर भी परमिशन नहीं देना अनुचित है। इस प्रकरण से पता चला है कि अधिकारी कागजी कार्रवाई में लगे है लेकिन मानवता खत्म होती जा रही है।
मनोज बिश्नोई, वार्ड पार्षद
गफलत से हुई चूक
जन्म-मृत्यु से संबंधी प्रमाण-पत्र देेने पर वाहन स्वीकृति दी जाती है। सैकड़ों आवेदक बिना प्रमाण-पत्र ही आवेदन कर रहे हैं। ऐसे में सही व गलत आवेदन की जांच मुश्किल होता है। इसी गफलत में यह चूक हुई होगी। हम मृतका के परिजनों के दुख में शामिल हैं। विभाग के अधिकारी संवेदनशील होकर कार्य कर रहे हैं।
ज्ञानदेव विश्वकर्मा, प्रादेशिक परिवहन अधिकारी बीकानेर

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