हुनर को रोजगार में बदलना सीखो प्रेमा गुप्ता ने बताया कि उनके पति ओमप्रकाश गुप्ता की एक छोटी सी दुकान थी। इसी से गृहस्थी आगे बढ़ रही थी। विपरीत परिस्थितियां देख मैंने सिलाई-कढ़ाई के हुनर को रोजगार में बदलना शुरू कर दिया। दिन-रात मेहनत कर कपड़े सिलती थी। गुप्ता ने कहा, ‘मैं सभी माताओं से कहना चाहती हूं कि संघर्षों से मुकाबला करने वाली महिलाएं कभी नहीं हारती।Ó उन्होंने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार दिए तो आज पोते-पोतियां भी संस्कारित हैं।
मां की हिम्मत देख आगे बढ़े
प्रेमा गुप्ता के बेटे डॉक्टर बीके गुप्ता ने कहा कि वे आज जिस मुकाम पर हैं, उसमें उनकी मां का अहम योगदान है। उन्होंने दिन-रात कपड़े सिलकर उन्हें पढ़ाया है। मां की हिम्मत देख खुद ही आगे बढऩे की लालसा पैदा हो जाती। वे दिन आज भी याद हैं जब बिजली जाने पर मां लालटेन लिए यह सोचकर बैठी रहती कि बेटे को पढऩे में कोई परेशानी नहीं हो।