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बीकानेर

मां के जज्बे को सलाम- कपड़ों की सिलाई कर बेटों को पढ़ाया, आज एक बेटा डॉक्टर

मदर्स डे विशेष

बीकानेरMay 12, 2019 / 07:04 pm

Jaibhagwan Upadhyay

Mother's day 2019- Bikaner dr. BK Gupta emotional story

मां के जज्बे को सलाम- कपड़ों की सिलाई कर बेटों को पढ़ाया, आज एक बेटा डॉक्टर

जयभगवान उपाध्याय

बीकानेर. सिलाई करते-करते कब दिन से रात हो जाती पता ही नहीं लगता। बस एक ही चाहत थी कि बच्चों को पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करवा दूं। मैं पढ़ी-लिखी थी, लेकिन पति मुझे नौकरी नहीं करवाना चाहते थे। बाद में नौकरी का भूत दिमाग से निकाला और बच्चों की सेवा को ही नौकरी समझ उन्हें आगे बढ़ाती गईं। आज सोचती हूं कि मैं नौकरी कर लेती तो आज एक बेटा डॉक्टर नहीं होता। यह कहना है ७७ वर्षीय प्रेमा गुप्ता का, जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी बच्चोंं की पढ़ाई बीच में नहीं छूटने दी।रेलवे प्रेक्षागृह के पास रहने वाली प्रेमा गुप्ता के तीन लड़के हैं। इनमें से एक डॉक्टर बीके गुप्ता पीबीएम अस्पताल में प्रोफेसर हैं। वहीं दो लड़के बेहतर जीवन-यापन कर रहे हैं। गुप्ता ने कहा कि जब बच्चे छोटे थे तो नींद उड़ी रहती थी, लेकिन आज चैन की नींद लेती हूं।
हुनर को रोजगार में बदलना सीखो प्रेमा गुप्ता ने बताया कि उनके पति ओमप्रकाश गुप्ता की एक छोटी सी दुकान थी। इसी से गृहस्थी आगे बढ़ रही थी। विपरीत परिस्थितियां देख मैंने सिलाई-कढ़ाई के हुनर को रोजगार में बदलना शुरू कर दिया। दिन-रात मेहनत कर कपड़े सिलती थी। गुप्ता ने कहा, ‘मैं सभी माताओं से कहना चाहती हूं कि संघर्षों से मुकाबला करने वाली महिलाएं कभी नहीं हारती।Ó उन्होंने कहा कि बच्चों को अच्छे संस्कार दिए तो आज पोते-पोतियां भी संस्कारित हैं।

मां की हिम्मत देख आगे बढ़े
प्रेमा गुप्ता के बेटे डॉक्टर बीके गुप्ता ने कहा कि वे आज जिस मुकाम पर हैं, उसमें उनकी मां का अहम योगदान है। उन्होंने दिन-रात कपड़े सिलकर उन्हें पढ़ाया है। मां की हिम्मत देख खुद ही आगे बढऩे की लालसा पैदा हो जाती। वे दिन आज भी याद हैं जब बिजली जाने पर मां लालटेन लिए यह सोचकर बैठी रहती कि बेटे को पढऩे में कोई परेशानी नहीं हो।

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