सोमवार को स्कूलों की तालाबंदी में जिला परिषद सदस्य, सरपंचों, ग्रामीणों व छात्रों ने भागीदारी निभाई। राजकीय माध्यमिक विद्यालय हाफासर के सरपंच भंवरलाल ने विद्यालय पर तालाबंदी की। राजकीय माध्यमिक विद्यालय रायसर में पूर्व सरपंच नारायण सिंह ने रोष जताते हुए कहा कि सरकार ने पीपीपी मोड पर स्कूल को देने से पूर्व किसी से भी पूछना मुनासिब नहीं समझा। सांईसर के सरपंच राजाराम, भंवर नैण ने सांइसर के विद्यालय पर ताला लगाकर विरोध किया। बाना गांव में सरपंच हीराम बाना, लुणाराम, कोडाराम भादू ने स्कूल के ताला लगवाया।
बीकानेर में शिक्षक संगठनों से जुड़े पदाधिकारियों ने तालाबंदी का समर्थन किया। सोमवार को बीकानेर से गुरुचरण सिंह मान गांवों में पहुंचे। वहीं किशोर पुरोहित, धूमल भाटी, मोडाराम कडेल, श्रवण पुरोहित, बनवारी शर्मा, अशोक तंवर, आनंद पारीक आदि ने पीपीपी मोड का विरोध करते हुए तालाबंदी का समर्थन किया।
राज्य सरकार उन सरकारी स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने की मंशा रखती है, जो आर्थिक सकंट से जूझ रहे हैं लेकिन बीकानेर जिले में स्थिति विपरीत बताई जा रही है। जिन स्कूल को पीपीपी मोड में शामिल किया गया है, उन स्कूल में व्यवस्थाओं का जिम्मा भामाशाहों ने उठा रखा है।
शिक्षक नेता गुरुचरण सिंह मान ने रोष जताते हुए कहा कि सरकार उस समय सरकारी स्कूल को पीपीपी मोड पर देने पर आमदा हो गई है, जब शिक्षा के क्षेत्र में प्रदेश चौथे स्थान पर आ गया है, पूर्व में प्रदेश 24 वें स्थान पर था। बीकानेर में जिन स्कूलों को पीपीपी मोड पर दिया जा रहा है, उनको भामाशाहों की मदद से बेहतर ढंग से संचालित किया जा रहा है।
जब स्कूल इतने सुदृर्ढ स्थित में है। नामाकंन भी है। व्यवस्थाएं माकूल हैं। भामाशाह सहयोग के लिए आगे खड़े हैं, इसके बावजूद सरकार इन स्कूलों को पीपीपी मोड पर देने पर आमदा है, इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसके लिए तालाबंदी जारी रहेगी।
ओमप्रकाश तर्ड, सदस्य, जिला परिषद