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बीकानेर

शवों के लिए 18 साल से यहां दिए जा रहे हैं दान में कफन

अगर किसी शव को ढकने के लिए सफेद कपडा उपलब्ध नहीं होता है तो लोग इस रोग निदान सेवा संघ ट्रस्ट की सेवा लेते हैं।

बीकानेरDec 19, 2023 / 07:03 pm

Ashish Joshi

शवों के लिए 18 साल से यहां दिए जा रहे हैं दान में कफन

शवों के लिए 18 साल से यहां दिए जा रहे हैं दान में कफन

अब तक रक्त दान, अन्न दान तथा वस्त्र दान पढ़ने और सुनने को मिलते रहे हैं। इससे इतर बीकानेर में एक ऐसी संस्था भी है जो कफन दान की अलग ही सेवा कर रही है। अगर किसी शव को ढकने के लिए सफेद कपडा उपलब्ध नहीं होता है तो लोग इस रोग निदान सेवा संघ ट्रस्ट की सेवा लेते हैं। खासकर लावारिस शवों के लिए तो पुलिस और नगर निगम को सबसे पहले यही संस्था याद आती है। कोरोनाकाल के दौरान तो संस्था ने विशेष प्रकार के कफन तैयार कर उपलब्ध कराए। कफन दान का कार्य यहां राजकीय पीबीएम अस्पताल परिसर में रोग निदान सेवा संघ ट्रस्ट के कार्यालय से किया जाता है। ट्रस्ट यह कार्य अस्पताल परिसर में अपने कार्यालय के माध्यम से 18 साल से कर रहा है। एक साल में करीब तीन हजार कफन का वितरण संस्था कर रही है। इसमें दो हजार कफन का कपड़ा पोस्टमार्टम होने वाले शवों को ढकने के लिए दिया जाता है। एक हजार कफन का कपड़ा अस्पताल के वार्डों में सामान्य मौत के बाद के बाद परिजनों को उपलब्ध कराया गया। अब तो अस्पताल के वार्डों में भी ट्रस्ट ने कपड़े रखवा दिए हैं। जिससे किसी मरीज की देर रात मृत्यु होने पर शव को उससे ढका जा सके। एक कफन में करीब ढाई मीटर कपड़ा दिया जाता है। जबकि पांच मीटर पॉलीथिन दिया जाता है। पॉलीथिन की जरूरत पोस्टर्माटम करने वाले शव के लिए पड़ती है। कोरोनाकाल में तो पॉलीथिन से विशेष तरह का कफन सिलाई कर तैयार कराए गए। इसमें चैन लगाई गई।

शव को कफन नहीं मिलने पर आया विचार

एक अज्ञात शव को ले जाने के लिए वर्ष 2005 में कफन का कपड़ा उपलब्ध नहीं हुआ। ट्रस्ट के अध्यक्ष भंवरलाल पेड़ीवाल के सामने हुई इस घटना ने उन्हें कफन दान के लिए प्रेरित किया। इसके बाद से आज तक यह सेवा चल रही है। पीबीएम अस्पताल के पोस्टमार्टम कक्ष में कफन उपलब्ध कराने की सूचना भी चस्पा है।

ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य सेवा

ट्रस्ट का मुख्य उद्देश्य ही सेवा भावना है। कई ऐसे लोग आते हैं जिनके पास चद्दर तक नहीं होती है। शव को ढकने के लिए कफन दान किया जाता है। यह सेवा चौबीस घंटे चालू रहती है। किसी भी व्यक्ति से धर्म, संप्रदाय तथा मजहब नहीं पूछा जाता है।

– देवकिशन पेड़ीवाल, कोषाध्यक्ष, रोग निदान सेवा संघ ट्रस्ट

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