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बीकानेर

विश्व पर्यावरण दिवस- पर्यावरण सरंक्षण और भारतीय मूल्य

-विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष-गेस्ट राइटर- अर्जुनराम मेघवाल, केन्द्रीय मंत्री एवं सांसद बीकानेर

बीकानेरJun 05, 2020 / 06:02 pm

dinesh kumar swami

विश्व पर्यावरण दिवस- पर्यावरण सरंक्षण और भारतीय मूल्य

विश्व पर्यावरण दिवस- पर्यावरण सरंक्षण और भारतीय मूल्य

विश्व पर्यावरण दिवस-2020 World Environment Day प्रकृति के साथ हमारे सह-अस्तित्व एवं साहचर्य की ओर ध्यानाकर्षण का विशेष अवसर है। मानव जाति शुरू से ही स्थानीय से वैश्विक स्तर तक प्रकृति के साथ स यक संतुलन स्थापित करने का प्रयास कर रही है। प्राकृतिक संसाधनों के दोहन को लेकर मनुष्य के बढ़ते लालच का परिणाम संपूर्ण ब्रह्माण्ड के लिए विनाशकारी साबित हुआ है। पर्यावरणीय प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन के खतरे बेहद चिंताजनक स्तर पर पहुंच गए हैं। संयुक्त राष्ट्र द्वारा इस वर्ष को ‘जैवविविधताÓ को समर्पित किया जाना इस सह-अस्तित्व को और बल देता है। जहां तक पर्यावरण संरक्षण की बात है, भारत सांस्कृतिक मूल्यों और धार्मिक लोकाचार की समृद्ध पर परा वाला देश रहा है। वेदों और प्राचीन ग्रंथों में पृथ्वी को माता का दर्जा दिया गया है। यहां प्रकृति के पंचतत्वों जल, अग्नि, आकाश, पृथ्वी और वायु की पूजा पीढिय़ों से होती रही है। देशभर में पेड़-पौधे, पहाड़, नदियों और पॅसलों की पूजा की मान्यताएं रही हैं।
गोवर्धन पूजा, छठ पूजा, तुलसी, आक, वटवृक्ष पूजा, बैसाखी, गोदावरी पुष्करम, बिहू, राजापर्बा, मकर संक्रांति या पोंगल जैसे त्योहारों की जड़ें प्रकृति से जुड़ी हैं। ये प्रकृति संरक्षण और स मान का शाश्वत संदेश देते हैं।यहां बिश्नोई समाज का जिक्र करना प्रासंगिक प्रतीत होता है, जिसने हमेशा प्रकृति एवं पर्यावरण सरंक्षण का संदेश दिया है। 1730 के खेजड़ली नरसंहार को याद कीजि, जब अमृता देवी बिश्नोई के नेतृत्व में 363 महिलाओं ने खेजड़ली वृक्ष के संरक्षण के लिए अपना जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया था। 1987 में प्रकाशित ‘आवर कॉमन यूचरÓ ब्रुटलैण्ड रिपोर्ट में कहा गया है कि हमें प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इस प्रकार करना चाहिए कि आने वाली पीढिय़ों के लिए संसाधनों की कमी न हो। भारत अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आइएसए) के माध्यम से, सौर ऊर्जा क्षमता बढ़ाने की वैश्विक मुहिम का नेतृत्व कर रहा है। अब हमें अधिक मुखर और व्यापक होकर सामूहिकता की भावना से कार्य करने होंगे। हाल ही विशाखापट्टनम में गैस लीकेज की घटना एवं केरल के मल्लापुरम में गर्भवती हथिनी की निर्मम अमानवीय हत्या हमारे लिए चिंता का विषय है। इन विषयों में त्वरित कार्रवाई एवं जागरूकता की महती आवश्यकता है।
भारत आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में चल रहे सुधार कार्य और व्यवस्थागत परिवर्तन आत्मनिर्भरता के आधार को और मजबूती दे रहे हैं। समय आ गया है कि हम अपनी विकास प्रक्रिया में पर्यावरण के प्रति चिंता को अपनी योजनाओं और नीतियों के साथ प्रारंभ से ही जोड़े रखें। इसके लिए हमें पर्यावरण प्रभाव आकलन व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाना होगा।भारत कोरोना वैश्विक महामारी के खिलाफ लड़ाई में अग्रणी भूमि का निर्वाह कर रहा है। यह संघर्ष हमें बहुत कुछ सिखाएगा। विश्व पर्यावरण दिवस सर्वोत्तम तरीके से सीखने का अवसर है। हम संकुचित दायरे से बाहर निकलें और पर्यावरणीय हितों के लिए एकजुट हों। तभी हम वैयक्तिक, स्थानीय और वैश्विक प्रयासों को मजबूती दे पाएंगे।

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