संत मुरलीधर महाराज ने मर्यादा पुरूषोतम श्रीराम सहित चारों भाईयों के नामकरण प्रसंग में कहा कि आजकल लोग बच्चों के नाम अपनी मर्जी से रखने लगे हैं। ब्राह्मणों या संतों द्वारा नक्षत्र अनुसार बताए गए नाम पर बच्चों का नामाकरण नहीं करते हैं। जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। इससे बच्चे के जीवन में परेशानियां आती है।
श्रीराम कथा के दौरान संत समागम में बाड़मेर से पहुंचे मंहत प्रताप पुरी ने कहा कि 84 लाख योनियों में मनुष्य योनी सर्वश्रेष्ठ है। अच्छे कर्मों से ही मनुष्य जीवन प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि जहां साधना होती है, वह तपोभूमि बन जाती है। गोसेवी पदमाराम कुलरिया की इस पावन धरा पर श्रीराम कथा के भव्य आयोजन से यह भूमि भी पवित्र हो गई है।
इन्होंने किया पूजन
बुधवार को कथा प्रारम्भ से पूर्व मुख्य यजमान गोसेवी पदमाराम कुलरिया, उगमाराम, देवकिसन, मघाराम, भंवर कुलरिया, कानाराम-शंकर-धर्म कुलरिया, सुरेश, नरेश, पुखराज, पंकज, मोहनलाल, मोटाराम, मूलाराम, पुष्पा, लक्ष्मी व मुन्नी आदि के साथ कुलरिया परिवार के अन्य सदस्यों ने रामचरित मानस का पूजन किया।
श्रीराम कथा में नेपाल काठमांडू से आए ओमप्रकाश जोशी, बाबूलाल लाहोटी संस्कार स्कूल नोखा, ईश्वरराम, पूनम जांगिड़, ओमजी, रामचंद्र जांगिड़, शोभा सुथार, मुकेश जांगिड़, चांदरतन, मांगीलाल माकड़, धन्नाराम बीदासर, रामकरण आसदेव, ओमप्रकाश, शंकरलाल, राधाकिसन, सुशील, किशनलाल धामु, राकेश जांगिड़ तारानगर, रमेश जांगिड़ सहित दूर दराज से आए अतिथियों का सम्मान किया गया। इस अवसर पर काठमांडू ब्राह्मण समाज के ओमप्रकाश जोशी ने गोसेवी पदमाराम कुलरिया का सम्मान करते हुए पशुपतिनाथ मंदिर का प्रतीक चिन्ह भेंट किया। मंच संचालन जोधपुर के चंदनसिंह राजपुरोहित ने किया।
हजारों श्रद्धालुओं ने ग्रहण किया महाप्रसाद
श्रीराम कथा के दौरान बीकानेर, नागौर, जोधुपर, चूरू सहित अन्य जिलों के दूर-दराज के गांवों व ढाणियों से आए हजारों कथा प्रेमियों ने महाप्रसाद ग्रहण किया।