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बीकानेर

बदलते मौसम में बढ़ रहा स्वाइन फ्लू, मेडिकल कॉलेज में अब तक 697 सैम्पलों की जांच

मौसम में ठंडक और बारिश के कारण प्रदेशभर में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं। दरअसल स्वाइन फ्लू वायरल बुखार है। यह वायरस से फैलता है।

बीकानेरAug 31, 2017 / 11:59 am

dinesh kumar swami

Swine flu

स्वाइन फ्लू

बीकानेर. मौसम में ठंडक और बारिश के कारण प्रदेशभर में स्वाइन फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं। दरअसल स्वाइन फ्लू वायरल बुखार है। यह वायरस से फैलता है। बारिश की वजह से स्वाइन फ्लू का वायरस और घातक हो जाता है।
वातावरण में नमी बढऩे के साथ ही यह तेजी से फैलने लगता है।
यही वजह है कि मौसम के बदलने के साथ एकाएक इसके मामले बढ़ गए हैं। बीकानेर के एसपी मेडिकल कॉलेज में अब तक ६९७ सैम्पलों की जांच की जा चुकी है। इनमें 61 रोगी पॉजिटिव पाए गए और पांच की मौत हो चुकी है।
यह है स्वाइन फ्लू
स्वाइन फ्लू एनफ्लुएंजा यानी फ्लू वायरस के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस ए से होने वाला इन्फेक्शन है। इस वायरस को ही एच1एन1 कहा जाता है। सबसे पहले अप्रेल, 2009 में स्वाइन फ्लू मैक्सिको में पहचाना गया था। तब इसे स्वाइन फ्लू कहा गया, क्योंकि **** में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू के लक्षण भी एन्फ्लुएंजा जैसे ही होते हैं।
बचाव ही उपचार
मेडिसिन विभाग की सातवीं यूनिट के प्रभारी डॉ. परमेन्द्र सिरोही के मुताबिक स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और उसकी देखभाल करने वालों को चपेट में ले लेता है। किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाई देने पर उससे उचित दूरी रखनी चाहिए। इसका बचाव ही उपचार है।
उन्होंने बताया कि आराम करना, खूब पानी पीना, शरीर में पानी की कमी न होने देना, इसका बेहतर उपाय है। शुरुआत में पैरासीटमॉल जैसी दवाएं बुखार कम करने के लिए दी जाती हैं। बीमारी के बढऩे पर एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू और जानामीविर (रेलेंजा) जैसी दवाओं से स्वाइन फ्लू का इलाज किया जाता है।
आंकड़ों पर एक नजर
एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरपी अग्रवाल ने बताया कि अब तक 697 मरीजों की स्वाइन फ्लू की जांच की जा चुकी है। बीकानेर जिले के 491 सैम्पलों में से 45 पॉजिटिव मिले और तीन की मौत हो गई। दूसरे जिलों के 205 सैम्पलों में से 15 पॉजिटिव आए और दो की मौत हो गई। वर्तमान में पीबीएम के स्वाइन फ्लू वार्ड में पांच मरीज भर्ती हैं।
लक्षण
नाक का लगातार बहना, छींक आना। कफ कोल्ड और लगातार खांसी। मांसपेशियां में दर्द या अकडऩ। सिर में तेज दर्द।
नींद न आना, ज्यादा थकान। दवा लेने पर भी बुखार का लगातार बढऩा।गले में खराश का बढ़ते जाना।
ऐसे फैलता रोग
स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में ट्रांसफर होता है। खांसने, छींकने, थूकने से वायरस सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है।
ये दवा-नुस्खे भी कारगर सर्दी-जुखाम जैसे लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तुलसी, गिलोय, कपूर, लहसुन, एलोवीरा, आंवला जैसी आयुर्वेदिक दवाइयों का भी स्वाइन फ्लू के इलाज में बेहतर असर देखा गया है।

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