स्वाइन फ्लू एनफ्लुएंजा यानी फ्लू वायरस के अपेक्षाकृत नए स्ट्रेन इनफ्लुएंजा वायरस ए से होने वाला इन्फेक्शन है। इस वायरस को ही एच1एन1 कहा जाता है। सबसे पहले अप्रेल, 2009 में स्वाइन फ्लू मैक्सिको में पहचाना गया था। तब इसे स्वाइन फ्लू कहा गया, क्योंकि **** में फ्लू फैलाने वाले इनफ्लुएंजा वायरस से यह मिलता-जुलता था। स्वाइन फ्लू के लक्षण भी एन्फ्लुएंजा जैसे ही होते हैं।
मेडिसिन विभाग की सातवीं यूनिट के प्रभारी डॉ. परमेन्द्र सिरोही के मुताबिक स्वाइन फ्लू का वायरस तेजी से फैलता है। कई बार मरीज के आसपास रहने वाले लोगों और उसकी देखभाल करने वालों को चपेट में ले लेता है। किसी व्यक्ति में स्वाइन फ्लू के लक्षण दिखाई देने पर उससे उचित दूरी रखनी चाहिए। इसका बचाव ही उपचार है।
एसपी मेडिकल कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरपी अग्रवाल ने बताया कि अब तक 697 मरीजों की स्वाइन फ्लू की जांच की जा चुकी है। बीकानेर जिले के 491 सैम्पलों में से 45 पॉजिटिव मिले और तीन की मौत हो गई। दूसरे जिलों के 205 सैम्पलों में से 15 पॉजिटिव आए और दो की मौत हो गई। वर्तमान में पीबीएम के स्वाइन फ्लू वार्ड में पांच मरीज भर्ती हैं।
नाक का लगातार बहना, छींक आना। कफ कोल्ड और लगातार खांसी। मांसपेशियां में दर्द या अकडऩ। सिर में तेज दर्द।
नींद न आना, ज्यादा थकान। दवा लेने पर भी बुखार का लगातार बढऩा।गले में खराश का बढ़ते जाना।
स्वाइन फ्लू का वायरस हवा में ट्रांसफर होता है। खांसने, छींकने, थूकने से वायरस सेहतमंद लोगों तक पहुंच जाता है।
ये दवा-नुस्खे भी कारगर सर्दी-जुखाम जैसे लक्षणों के इलाज में इस्तेमाल होने वाली तुलसी, गिलोय, कपूर, लहसुन, एलोवीरा, आंवला जैसी आयुर्वेदिक दवाइयों का भी स्वाइन फ्लू के इलाज में बेहतर असर देखा गया है।