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बीकानेर शहर में घटा मतदान, आगे निगम चुनाव में मचाएगा घमासान

लोकसभा चुनाव से सबक लेकर इसी साल अंत तक होने वाले नगर निगम बोर्ड के चुनाव की रणनीति पर भी मंथन शुरू हो गया है। दरअसल, विधानसभा चुनाव के साथ ही निगम चुनाव को लेकर बिसात बिछनी शुरू हो जाती है। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के साथ वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले नेता मैदान में उतर गए थे।

बीकानेरMay 02, 2024 / 09:27 pm

Ashish Joshi

लोकसभा चुनाव में बीकानेर सीट पर मतदान होने के बाद अब सभी 4 जून को आने वाले नतीजों का इंतजार कर रहे है। इस बार मतदान कम रहने ने राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा रखी है। ऐसे में लोकसभा चुनाव से सबक लेकर इसी साल अंत तक होने वाले नगर निगम बोर्ड के चुनाव की रणनीति पर भी मंथन शुरू हो गया है। दरअसल, विधानसभा चुनाव के साथ ही निगम चुनाव को लेकर बिसात बिछनी शुरू हो जाती है। विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के साथ वार्ड से पार्षद का चुनाव लड़ने की तैयारी करने वाले नेता मैदान में उतर गए थे। अब लोकसभा में वोटिंग कम रहने से राजनीतिक दलों के भीतर भी कार्यकर्ताओं को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए है। ऐसे में राजनीतिक दल व वार्ड के नेता नई रणनीति बनाने में जुट गए हैं। राजनीतिक चर्चाओं में लोकसभा चुनाव के साथ आगामी नगर निगम चुनाव भी है।
वार्ड के नेता होंगे सक्रिय

नगर निगम में वर्तमान में भाजपा का बोर्ड है। भाजपा लगातार दो बार से निगम बोर्ड में काबिज है। अब लगातार चुनाव जीतने की हैट्रिक के लिए प्रयास करेगी। वहीं कांग्रेस के सामने नगर निगम में भाजपा के वर्चस्व को तोड़ने की चुनौती है। अगले कुछ दिनों में निगम की राजनीति भी गर्माने लगेगी, शहर में समस्याओं को भी प्रमुखता से उठाया जाएगा। वार्ड स्तर पर नेता सक्रिय होंगे, वहीं विधायक और सांसद भी चुनाव में निष्ठा से साथ देने वाले नेताओं को आगे बढ़ाने का प्रयास करेंगे।
भाजपा – समस्याएं और खामियां बनेगी चुनौती

शहर में जनसमस्याओं से लोग परेशान है। आगामी निगम चुनाव में जनसमस्याओं को लेकर आमजन की नाराजगी भाजपा के लिए मुश्किल पैदा कर सकती है। वर्तमान बोर्ड कार्यकाल में शहर ने जो झेला है, उसका जवाब जनता मांगेगी। बचे हुए बोर्ड के कार्यकाल में कई गुणा तेज गति से काम और हालात बदलने होंगे।
एक बार भाजपा,एक बार कांग्रेसका क्रम रहा

नगर निगम में वर्ष 1994 से 2009 तक एक बार भाजपा और एक बार कांग्रेस बोर्ड बनते रहे है। वर्ष 2014 व 2019 के चुनावों में भाजपा ने लगातार दो बार जीत दर्ज कर इस क्रम को तोड़ा। वर्ष 1994 में भाजपा, वर्ष 1999 में कांग्रेस का बोर्ड बना। वर्ष 2004 में पहले बोर्ड भाजपा का बना, फिर कांग्रेस के महापौर बने। वर्ष 2009 में कांग्रेस का बोर्ड बना।
ये बने सभापति, महापौर

वर्ष 1994 में जशोदा गहलोत (भाजपा), वर्ष 1999 में विजय कपूर (कांग्रेस) फिर चर्तुभुज व्यास (कांग्रेस) सभापति बने। वर्ष 2004 में पहले अखिलेश प्रताप सिंह (भाजपा) और बाद में मकसूद अहमद (कांग्रेस) सभापति बने। वर्ष 2008 में नगर परिषद को नगर निगम का दर्जा मिला। मकसूद अहमद निगम के पहले महापौर बने। वर्ष 2009 में भवानी शंकर शर्मा (कांग्रेस), वर्ष 2014 नारायण चौपड़ा (भाजपा) महापौर बने। वर्ष 2019 से अब तक सुशीला कंवर राजपुरोहित (भाजपा) महापौर है।
जनसमस्याओं पर चुप्पी

नगर निगम में निर्वाचित बोर्ड होने के बाद भी आमजन परेशान है। आमजन को हो रही परेशानियों को लेकर न महापौर की सक्रियता नजर आ रही है और ना ही नेता प्रतिपक्ष की। कांग्रेस विपक्ष में है। विपक्षी पार्षद भी जनसमस्याओं को लेकर चुप्पी साधे हुए है। धड़ों में बंटे कांग्रेस पार्षद जनता की आवाज नहीं बन पा रहे है। सत्तारूढ़ बोर्ड भाजपा के पार्षद भी जनसमस्याओं से मुंह फेरे बैठे है।
39 वार्ड पश्चिम में 41 वार्ड पूर्व में

नगर निगम क्षेत्र में बीकानेर पश्चिम और बीकानेर पूर्व दोनों विधानसभा क्षेत्रों में कुल 80 वार्ड हैं। पश्चिम में 39 और पूर्व में 41 वार्ड आतेहैं। दोनों सीटों पर भाजपा के विधायक है।
4.88 लाख से अधिक मतदाता शहरी

नगर निगम क्षेत्र के 80 वार्ड में 4 लाख 88 हजार 169 मतदाता लोकसभा चुनाव की ताजा मतदाता सूची के हिसाब से है। साल के अंत में निगम चुनाव होंगे, तब तक मतदाता सूची भी अपडेट होगी। बीकानेर पश्चिम विस क्षेत्र में 2 लाख 39 हजार 217 मतदाता और बीकानेर पूर्व विस क्षेत्र में 2 लाख 48 हजार 952 मतदाता हैं। इनमें कुल पुरुष मतदाता 2 लाख 88 हजार 169 व कुल महिला मतदाता 2 लाख 38 हजार 618 हैं।

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