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बीकानेर

राजस्थान को मिली बिना बीज वाले खीरे की खेती में सफलता, एक दिन में हो रहा इतना उत्पादन

स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोनेट हाउस (शेडनेट हाउस) में खीरा उत्पादन को लेकर चल रहे शोध में ऐसे सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इसमें पॉलीहाउस के मुकाबले काफी कम लागत से बनने वाले एग्रोनेट हाउस में खीरे का अच्छा उत्पादन हो रहा है।

बीकानेरMay 06, 2024 / 11:00 am

Kirti Verma

Cucumber Cultivation: पश्चिमी राजस्थान में मई-जून में भीषण गर्मी और लू के थपेड़ों के बीच देशी खीरे (बिना बीज वाला खीरा) की पैदावार करना संभव हो गया है। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में एग्रोनेट हाउस (शेडनेट हाउस) में खीरा उत्पादन को लेकर चल रहे शोध में ऐसे सकारात्मक परिणाम मिले हैं। इसमें पॉलीहाउस के मुकाबले काफी कम लागत से बनने वाले एग्रोनेट हाउस में खीरे का अच्छा उत्पादन हो रहा है।
एसकेआरयू के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने खीरा उत्पादन को दिखाते हुए बताया कि एग्रोनेट हाउस में खीरे के बीजारोपण के करीब एक महीने बाद ही उत्पादन शुरू हो गया है। इस तरह खीरे की संरक्षित खेती करने से किसानों को होने वाले लाभ पर शोध कार्य किया जा रहा है। साथ ही खीरे की खेती में स्प्रे के जरिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम न्यूट्रिशन देने पर उत्पादन में बढ़ोतरी को लेकर भी अध्ययन किया जा रहा है। इसके शुरुआती परिणाम भी सकारात्मक आए हैं।

पॉलीहाउस के मुकाबले कम लागत


कुलपति ने बताया कि पॉलीहाउस के मुकाबले काफी कम लागत से एग्रोनेट हाउस बनकर तैयार हो जाता है। इसमें खीरे का उत्पादन कृषि विश्वविद्यालय में आकर किसान देख सकते है। पश्चिमी राजस्थान में कम समय व कम लागत में अधिक उत्पादन व अधिक लाभ के लिए शेडनेट हाउस में संरक्षित खेती अच्छा विकल्प बना है।

ऑफ सीजन में मिलेगा देशी खीरा

हॉर्टिकल्चर विभागाध्यक्ष डॉ. पीके यादव ने बताया कि ऑफ सीजन में खीरे की पैदावार पॉलीहाउस और शेडनेट में मिलती है। परन्तु मई-जून में बहुत ज्यादा तापमान होने पर पॉलीहाउस में खीरा उत्पादन में दिक्कतें आती हैं। जबकि एग्रोनेट हाउस में तापमान कम होने और आर्द्रता बनी रहने से खीरे की अच्छी फसल ली जा सकती है। फल की क्वालिटी भी अच्छी आती है। कीट रोग प्रबंधन भी आसान है। बूंद बूंद सिंचाई से पानी की बचत भी होती है। यहां के मौसम और मिट्टी की अनुकूलता है।
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एक दिन के अंतराल पर 40 से 70 किलो उत्पादन

पीएचईडी स्टूडेंट और सहायक आचार्य डॉ. सुशील कुमार ने बताया कि शोधार्थी पवन कुमार खीरे पर शोध कर रहे हैं। यह अध्ययन भी किया जा रहा है कि क्या एक सामान्य किसान के लिए छोटी सी जगह पर शेडनेट हाउस में संरक्षित खेती करना संभव है क्या। लिहाजा कृषि विश्वविद्यालय परिसर में 15 बाई 30 मीटर के शेडनेट हाउस में बिना बीज वाले खीरे की वैरायटी के पौधे लगाए गए हैं। सवा महीने बाद ही खीरे का उत्पादन शुरू हो चुका है। एक दिन के अंतराल पर करीब 40-70 किलो खीरे का उत्पादन हो रहा है। जो अगले तीन महीने तक जारी रहेगा।

किसान देखें और खेती करें

एसकेआरयू के कुलपति डॉ. अरुण कुमार ने बताया कि शेडनेट हाऊस को तैयार करने से लेकर खीरे के बीज बोने और पौधों से उत्पादन लेने की पूरी प्रक्रिया को किसान एसकेआरयू परिसर में आकर देख सकते हैं। अभी 15 गुणा 30 मीटर के छोटे ब्लॉक में खीरा का उत्पादन सफलतापूर्वक किया गया है। किसान भी छोटे स्तर पर इसका उत्पादन शुरू कर सकते हैं।

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