नगर निगम महापौर पद की लॉटरी के बाद सक्रिय नेताओं पर आमजन की नजरें टिकी हैं।
कयास लगाए जा रहे है कि लम्बे समय से सक्रिय भाजपा व कांग्रेस जनप्रतिनिधि भी अपनी पत्नी को चुनावी रण में उतार सकते है, ताकि वे अपनी मेहनत को भुना सकें। दोनों पार्टियों के दिग्गज नेताओं ने इसकी संभावनाएं तलाशनी शुरू कर दी है।
बीकानेर नगर निगम बनने के बाद महापौर का पद आरक्षित हुआ है। वर्ष २००८ में निगम बनने के बाद पहली बार वर्ष २००९ में हुए चुनाव के दौरान महापौर का पद सामान्य वर्ग के लिए था।
वहीं २०१४ में भी यह पद सामान्य ही रहा। इस बार हो रहे निगम चुनाव को लेकर निगम महापौर का पद सामान्य महिला वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है।
इस बार भले ही सामान्य महिला के नाम आरक्षित हुई हों, लेकिन इससे पूर्व दो बार निकाय अध्यक्ष पद पर महिलाएं बैठ चुकी है। पहली बार वर्ष १९६० में कांता खतुरिया सभापति चुनी गई थी। वहीं दूसरी बार वर्ष १९९४ में दूसरी बार जशोदा गहलोत को सभापति बनाया गया। इस बार सामान्य महिला के लिए पद आरक्षित होने के कारण तीसरी बार शहरी सरकार की मुखिया महिला होगी।