जिले में पिछले 2 वर्षों में 664 लोगों ने आत्महत्याएं की हैं, जिनमें पति पत्नी के बीच अवैध संबंध के कारण , पढ़ाई के तनाव, लेनदेन के विवाद , मानसिक तनाव समेत कई मामलें शामिल हैं। लगातार बढ़ती आत्महत्याओं के मामलों के बाद भी आत्महत्याओं को रोकने के लिए अब तक कउंसिलिंग सेंटर नहीं खोले गए हैं। वहीं प्रदेश के दुर्ग में 12, मुंगेली में 5, जांजगीर-चांपा में2, कोरबा में 4, धमतरी तें 3, रायगढ़ में 4, बस्तर में 2 और जश्पुर में 12 कउसंलिंग सेंटर खोले जा चुके हैं।
हेल्पलाइन है, पर प्रचार प्रसार नहीं
प्रदेश में मानसिक रोगी, मानसिक अवसाद, तनाव ग्रस्त दिखने वाले लोगों को काउंसिलिंग सेंटर तक पहुंचाने के लिए प्रदेश सरकार ने हेल्पलाइन नंबर 104 शुरू किया है। जिले में इस हेल्पलाइन नंबर की जानकारी न ही पुलिस को है और न ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को।
मौत के कई मामलों में कारण अज्ञात
खुदकुशी के कई मामलों में पुलिस मौत के कारणों तक नहीं पहुंच पाई है। अधिकांश खुदकुशी के मामले फांसी लगाने के सामने आई हैं, जिनमें पुलिस को जांच कर खुदकुशी के कारणों तक पहुंचने में सफलता नहीं मिली है। सुसाइड नोट लिखकर खुदकुशी करने वालों की संख्या कम है।