किशोर के फांसी पर लटकने की खबर से प्रशासनिक महकमे में हडक़ंप मच गया। संप्रेक्षण गृह की अधीक्षिका अनुराधा सिंह मौके पर पहुंचीं। इसके बाद घटना की सूचना मिलने पर तहसीलदार एनपी गबेल व जिला कोर्ट के न्यायाधीश भी मौके पर पहुंचे। अधिकारियों ने मौके का मुआयना किया।
घटना की जानकारी सुबह 6 बजे बाल संप्रेक्षण गृह के कर्मचारियों को हो गई थी। संप्रेक्षण गृह से घटना की सूचना पत्र के माध्यम से सुबह 9 बजे सरकंडा थाना भेजी गई। सूचना मिलने पर सरकंडा टीआई संतोष जैन, सीएसपी कोतवाली विश्वदीपक त्रिपाठी, सिविल लाइन टीआई कलीम खान, तारबाहर थाना प्रभारी जेपी गुप्ता समेत भारी संख्या में पुलिस कर्मी मौके पर पहुंचे। करीब 11 बजे पुलिस कर्मी किशोर के पिता के पास पहुंचे और उन्हें बाल संप्रेक्षण गृह में बेटे को दिखाने की बात कही और बाल संप्रेक्षण गृह लेकर पहुंचे।
1. आरोपी किशोर था तो बिना जांच किए पुलिस ने किस आधार पर उसे केन्द्रीय जेल भेज दिया।
2. बाल संप्रेक्षण गृह में शुक्रवार रात 8 बजे किशोर को दाखिल किया गया तो ऐसा क्या हुआ कि उसने चंद घंटों में फांसी लगा ली
3. क्या बाल संप्रेक्षण गृह में माहौल ठीक नहीं था
4 क्या बाल संप्रेक्षण गृह में हालत रहने के अनुकूल नहीं थे।
5. किशोर के फांसी लगाने की सूचना पुलिस को 3 घंटे और परिजनों को 5 घंटे के बाद क्यो दी गई
6. घटना के बाद बाल संप्रेक्षण गृह में अधीक्षिका और अन्य कर्मचारी क्या छिपाने का प्रयास कर रहे थे कि सूचना देने में लेटलतीफी हुई
7 बाल संप्रेक्षण गृह में सीसीटीवी कैमरे बंद क्यों थे, खराबी आने पर उसे दुरुस्त क्यो नहीं कराया गया था।
घटना के बाद किशोर के पिता ने कहा कि सरकंडा पुलिस यह जानती थी कि उसका बेटा नाबालिग है तो उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेजा जाना था। उसे पहले केन्द्रीय जेल भेजा गया था। वहां से शुक्रवार रात उसे बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया गया था। कर्मचारी व अधिकारी देखभाल सहीं तरह से किए होते तो उनका बेटा नहीं मरता। उन्होंने मामले में निष्पक्ष जांच की मांग की है।
सूत्रों के अनुसार बाल संप्रेक्षण गृह में शुक्रवार को किशोरों के बीच किसी से मारपीट हुई थी। इसकी जानकारी मिलने पर किशोरों की पिटाई की गई थी। जिसके बाद बाल संप्रेक्षण गृह में डरे सहमे माहौल में किशोर थे। हलांकि प्रबंधन इससे इंकार कर रहा है।
अनुराधा सिंह, अधीक्षिका, बाल संप्रेक्षण गृह
बाल संप्रेक्षण गृह में कुछ महीनों पूर्व सीसीटीवी कैमरे लगाए थे। कैमरे खराब होने पर उसे तत्काल सुधरवाया जाना था, ताकि अंदर होने वाली दिनचर्या और रात में किशोरों पर निगरानी रखी जा सके, लेकिन संप्रेक्षण गृह की अधीक्षिका ने व्यवस्था में सुधार नहीं किया।
आरोपी किशोर(Prisoner suicide)को पुलिस ने 19 साल का होने का हवाला देकर कोर्ट में पेश किया था। कोर्ट के आदेश पर उसे 19 जुलाई को जेल दाखिल किया गया था। 7 दिनों तक वह प्रहरियों की निगरानी में था और ठीक-ठाक था। उसने जेल में उल्टी सीधी हरकत नहीं की थी। शुक्रवार रात उसे स्वस्थ हालत में बाल संप्रेक्षण गृह (Suicide in police custody) भेजा गया था।
एसएस तिग्गा, अधीक्षक केन्द्रीय जेल