याचिकाकर्ता केए सवरियाप्पन ने अधिवक्ता अभिजित मिश्रा के माध्यम से हार्इोकोर्ट में याचिका लगाई है। इसमें मांग की गई है कि याचिकाकर्ता अपने 50-60 साथियों के साथ मुंगेली चर्च में प्रार्थना करने के लिए जाना चाहते हैं पर चर्च के पास्टर उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहे हैं जबकि संविधान में सर्वधर्म समभाव की बात कही गई है और किसी व्यक्ति को धर्म विशेष के किसी पूजा स्थल पर जाने और प्रार्थना करने की मनाही नहीं है। याचिकाकर्ता को अपने साथियों व समर्थकों के साथ चर्च जाने की अनुमति प्रदान की जाए। इस पर जस्टिस भादुड़ी की एकलपीठ ने याचिकाकार्त को मुंगेली चर्च में प्रार्थना के वक्त या सुबह 11 से 1 बजे के दौरान चर्चा जाने की अनुमति प्रदान की है। कोर्ट ने सुको के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आस्था किसी व्यक्ति का नितांत निजी मामला होता है। इसमें किसी प्रकार की रोक नहीं लगाई जा सकती, बशर्ते उस व्यक्ति की उपस्थिति या किसी हरकत से पूजा स्थल की पवित्रता बाधित
होती हो।
कोर्ट ने धार्मिक स्थलों पर बलि प्रथा के संबंध में सुको के आदेश का जिक्र करते हुए कहा कि इस पर केंद्र सरकार कानून बनाकर रोक लगाने का निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र है।