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बिलासपुर

हमारे छत्तीसगढ़ के कर्मा, ददरिया, सुवा की सुर लहरियां गूंजेंगी फिजी में, अनुज शर्मा का आरुग बैंड देगा प्रस्तुति

छत्तीसगढ़ के आरुग बैंड की विदेश में प्रस्तुति, पद्मश्री अनुज शर्मा हैं इसके संस्थापक और मुखिया

बिलासपुरFeb 22, 2018 / 11:54 pm

Barun Shrivastava

Anuj Sharma

Arug Band

बिलासपुर .

छत्तीसगढ़ी संगीत को अपने अलग और निराले अंदाज में प्रस्तुति के लिए प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी फिल्मों के सुपरस्टार पद्मश्री अनुज शर्मा के छत्तीसगढ़ी फोक बैंड आरूग दि अनटच्ड अपनी प्रस्तुति फिजी में देगा। फिजी में आयोजित भारत महोत्सव में अनुज का यह बैंड पहला है जो इस स्तर पर अपनी प्रस्तुति देने जा रहा है। भारत सरकार के फिजी में भारतीय दूतावास द्वारा अक्टूबर 2017 से मार्च 2018 तक आयोजित नमस्ते पैसेफिका (फेस्टिवल आॅफ इंडिया ) में भारत के विभिन्न सांस्कृतिक दलों को प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया गया है। इसमें पद्मश्री से सम्मानित अनुज शर्मा के छत्तीसगढ़ी फोक बैंड आरूग दि अनटच्ड को भी शामिल किया गया है ।
छत्तीसगढ़ का इकलौता ग्रुप

इस आयोजन में भारत से भाग लेने वाले 6 दलों में छत्तीसगढ़ से एक मात्र ग्रुप के रूप में आरूग बैंड को आमंत्रित किया गया है । दल प्रमुख अनुज शर्मा सहित 12 सदस्यों वाले आरूग बैंड में विवेक टांक, डेविड निराला, सेवक राम यादव, रामचंद्र सरपे, सौरभ महतो, राम कुमार साहू, दीपमाला शर्मा, सुमन साहू, स्मिता शर्मा, किरण साहू, ज्ञानिता द्वीवेदी शामिल हैं । बैंड के कोरियोग्राफर निशान्त उपाध्याय व ड्रेस डिज़ाइनर विभा आसुतोष हैं ।
16 को फिजी में महकेगी छत्तीसगढ़ी खुशबू

आरूग बैंड का कार्यक्रम 16 मार्च को फिजी की राजधानी सुवा में 17 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा वाले शहर नान्डी और 18 मार्च को एक प्रमुख शहर बा में है जहां प्रसिद्ध शिव मंदिर स्थित है ।
करमा, ददरिया, सुवा गूंजेगा विदेशी धरती पर

देश के प्रतिष्ठित मंचों पर प्रस्तुति देने के बाद बैंड पहली बार विदेश में छत्तीसगढ़ का संगीत परफार्म करने जा रहा है ।
अपनी प्रस्तुति में छत्तीसगढ़ की लोकप्रिय पारम्परिक गायन शैली करमा, ददरिया, सुवा, कायाखंडी के साथ ही साथ ऐसे गीतों का संयोजन भी है जो अब प्रचलन में नहीं है ।
लोक वाद्य यंत्रों का होता है इस्तेमाल

इस बैंड की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें केवल पारम्परिक वाद्य यंत्रों का उपयोग किया जाता है । जिनमें दफड़ा, गुदुम, मांदर, ढोल, टिमकी, झांझ, मंजीरा, खंजरी, मोहरी, बांसुरी, हारमोनियम, बेंजो, तबला, ढोलक, घुंघरू आदि का प्रयोग किया जाता है । अत्याधुनिक वाद्य यंत्रों के इस दौर मे केवल लोक वाद्यों का प्रयोग आरूग बैंड को भीड़ से अलग बनाता है ।

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