गुड़ाखू के उत्पादन व बिक्री पर प्रतिबंध के लिए हाईकोर्ट में लगाई याचिका
रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला और ठाकुर अभिषेक प्रताप सिंह
द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि तंबाकूयुक्त
गुटखे की तरह गुड़ाखू के उत्पादन व बिक्री पर भी फौरन प्रतिबंध लगाया जाए।
बिलासपुर. गुड़ाखू को जीवन के लिए खतरा व कैंसर का प्रमुख कारक बताते हुए हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इसमें मांग की गई है कि तंबाकूयुक्त गुटखे की तरह इसके उत्पादन व बिक्री पर फौरन प्रतिबंध लगाया जाए। रायपुर के सामाजिक कार्यकर्ता कुणाल शुक्ला और ठाकुर अभिषेक प्रताप सिंह द्वारा हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर मांग की गई है कि तंबाकूयुक्त गुटखे की तरह गुड़ाखू के उत्पादन व बिक्री पर भी फौरन प्रतिबंध लगाया जाए। ये तंबाकू से भी ज्यादा खतरनाक है व इसके इस्तेमाल से प्रति वर्ष कैंसर व दूसरी जानलेवा बीमारियों से प्रदेश में सैकड़ों मौतें हो रही हैं।
याचिकाकर्ताओं की ओर से कहा गया है कि 2006 प्रोटेक्शन आफ फूड एक्ट के तहत सभी प्रकार के खाद्य पदार्थ के लिए लायसेंस अनिवार्य किया गया है लेकिन प्रदेश के किसी भी कारोबारी द्वारा गुड़ाखू कारोबार के लिए लायसेंस नहीं लिया है। प्रदेश के खाद्य एवं औषधि विभाग ने भी इस कारोबार के लिए कोई अनुमति नहीं दी है ना ही विभाग को पता है कि गुडाख़ू के उत्पादन में किन सामग्रियों का उपयोग किया जाता है। याचिका में कोलकाता की लैब रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया है कि गुड़ाखू में आर्सेनिक नाम के घातक रसायन का इस्तेमाल होता है, जो एक प्रकार का जहर है। साथ ही एफ्लोटाक्सिन(ये एक तरह का फंगस वाला जहर है, जो सड़ी हुई खाद्य सामग्रियों में पाया जाता है) सड़ा हुआ गुड़ व प्रतिबंधित तंबाकू का इस्तेमाल भी होता है। साथ ही तंबाकू के उत्पाद पर व्यापारियों के टिन नंबर, फैक्टरियों की सूची, नाम, पता, राज्य के एक्साइज विभाग विश्वास व्यापार संबंधी जानकारी भी अंकित नहीं होती है। जनता को ये पता भी नहीं होता कि जिस जानेलवा उत्पाद का इस्तेमाल वे कर रहे हैं, वे कहां बन रही है व इसका निर्माण कौन कर रहा है।