हाईकोर्ट का फैसला- अशासकीय स्कूलों के शिक्षकों को भी ग्रेच्युटी देगी राज्य सरकार
Bilaspur High court’s decision: 100 प्रतिशत अनुदान वाले स्कूलों के लिए लागू, 2013 में सरकार ने जारी किया था सर्कुलर, विरोध में लगी थी 25 याचिकाएं
Bilaspur High court’s decision
बिलासपुर। अशासकीय स्कूली शिक्षण संस्थान जिन्हें राज्य सरकार की ओर से शत-प्रतिशत अनुदान मिलता है वहां के शिक्षकों की ग्रेच्युटी का भुगतान राज्य सरकार करेगी। शुक्रवार को हाईकोर्ट ने ये फैसला सुनाया है।
इस मामले को लेकर २५ याचिकाएं दायर हुई थीं। हाईकोर्ट अधिवक्ता मनोज प्रांजपे ने बताया कि साल २०१३ में राज्य सरकार की ओर से शतप्रतिशत अनुदान प्राप्त अशासकीय शिक्षण संस्थानों के लिए सर्कुलर जारी किया गया था। इसके अनुसार यहां शिक्षण कार्य कर रहे शिक्षकों की ग्रेच्युटी का भुगतान राज्य सरकार की ओर से नहीं किए जाने की बात कही गई थी। सरकार ने कहा था कि एक अप्रैल २०१३ के बाद से रिटायर होने वाले शिक्षकों की ग्रेच्युटी की व्यवस्था संबंधित शिक्षण संस्थान ही करें। इसके बाद इस मामले को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। इस मामले में २५ याचिकाएं हाईकोर्ट के समक्ष दायर की गईं थीं। कोर्ट में चली सुनवाई के दौरान ये बात भी उठा कि शत प्रतिशत अनुदान प्राप्त संस्थाओं का अपना कोई आय नहीं होता है इन हालात में वो इसका भुगतान कैसे करेंगे। इसके अलावा ये भी प्रमुखता से उठा कि जब राज्य सरकार इस बात को कह रही है कि वो एक अप्रैल २०१३ से पहले वालों को देगी और इसके बाद वालों को नहीं देगी ये तो भेदभाव है। ऐसे में कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि सभी शिक्षकों के ग्रेच्युटी का भुगतान राज्य सरकार करेगी।
इंप्लॉयर तो राज्य सरकार है
अधिवक्ता मनोज प्रांजपे और के रोहन ने बताया कि शतप्रतिशत अनुदान प्राप्त अशासकीय स्कूली शिक्षण संस्थानों में जो नियुक्तियां होती है वो ग्रेच्युटी एक्ट के हिसाब से उसका नियोक्ता राज्य सरकार ही होती है। ऐेसे में राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वो इसका भुगतान करे।
जिनका हो गया भुगतान वो लौटाएं
हाईकोर्ट ने एक ओर जहां राज्य सरकार को ग्रेच्युटी भुगतान के लिए आदेश जारी किया है दूसरी ओर ये भी कहा है कि सर्कुलर के बाद यदि किसी संस्था ने ग्रेच्युटी का भुगतान कर दिया है उसे राज्य सरकार वो राशि लौटाएगी।
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