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इसी तरह पुलिस कर्मियों के मामले में भी दायर जनहित याचिका पर भी सुनवाई हुई , जिसमें शासन ने जवाब में कहा है कि विभाग में पहले से ही मुआवजे का प्रावधान है। शिक्षक दिलीप सारथी ने एक जनहित याचिका दायर कर स्वास्थ्य कर्मियों की तरह शिक्षकों को भी कोविड काल में कार्य के दौरान मृत्यु पर मुआवजा देने की मांग की थी। सारथी ने अपनी याचिका में कहा था कि , कोविड काल में मरीजों के उपचार और जांच में लगे कुछ स्वास्थ्य कर्मचारियों की मौत पर केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को 50 लाख का मुआवजा दिया था।
इसी तरह मरीजों की ट्रेसिंग और कोरोना मरीजों की मौत के बाद विशेष रूप से बनाये गये अंत्येष्टि स्थल पर ड्यूटी कर रहे कई शिक्षक भी बीमार हुए थे। इनमें से कुछ ने बाद में दम तोड़ दिया था ऐसे परिवारों को भी राज्य शासन द्वारा 50 लाख रुपए का मुआवजा देना चाहिए। प्रकरण में लम्बे समय से सुनवाई चल रही है। बुधवार को चीफ जस्टिस की डिवीजन बेंच में इस पर शासन का जवाब नहीं आया। जवाब देने के निर्देश देते हुए कोर्ट ने 4 सप्ताह बाद अगली सुनवाई तय की है।
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पुलिस विभाग में पहले से प्रावधान
एक अन्य जनहित याचिका में लोकेश कावड़िया ने पुलिस कर्मियों की कोरोना ड्यूटी के दौरान हुई मौत पर जनहित याचिका दायर की थी। उसमें बुधवार को शासन ने जवाब प्रस्तुत कर बताया कि पुलिस कर्मियों के लिए शासन की नीति में यह पहले से ही प्रावधान है, और मुआवजा दिया जा रहा है।