scriptहाथ और हाथी बनेंगे साथी, 6 सीटों की पालकी बसपा के हवाले | BSP-Congress coalition in CG | Patrika News
बिलासपुर

हाथ और हाथी बनेंगे साथी, 6 सीटों की पालकी बसपा के हवाले

प्रदेश की 12.31 फीसदी एससी आबादी को साधने की कोशिश, जोगी के डैमेज को कंट्रोल करने कांग्रेस-बसपा का गठबंधन तय

बिलासपुरSep 16, 2018 / 12:46 am

Barun Shrivastava

BSP-Congress Mahagathbandhan

हाथ और हाथी बनेंगे साथी, 6 सीटों की पालकी बसपा के हवाले

बरुण सखाजी. बिलासपुर.

छत्तीसगढ़ में इस बार बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस एक साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। दोनों के बीच कई स्तरों की बात हो चुकी है। कांग्रेस के इस कदम को राष्ट्रीय राजनीति में जहां लोकसभा के लिए महागठबंधन माना जाएगा तो वहीं राज्य में जोगी का काट। कांग्रेस ने बसपा को 6 सीटें देने की बात की है। इसकी औपचारिक घोषणा आचार संहिता लगते ही कर दी जाएगी।
बसपा अड़ी थी 13 सीटों पर, 6 पर सहमति की संभावना

शुरुआत में बसपा ने अपने 2008 के प्रदर्शन को आधार बनाकर कांग्रेस से बात शुरू की। इस साल पार्टी ने 10 हजार से ऊपर मत वाली सीटों की संख्या 14 की और इसे अब तक बरकरार रखा है। वहीं इनमें से 3 सीटें जीती। 2 सीटों पर नंबर-2 रही तो 3 सीटों पर नंबर 3 पर भी रह चुकी है। पार्टी को लगता है कि उसे 13 सीटें प्रदेश में मिलनी चाहिए। वहीं कांग्रेस बसपा को 6 सीटें देने पर सहमत है। बातचीत की टेबल पर अपना पक्ष मजबूत करने के लिए बसपा ने हर क्षेत्र में अपने कार्यकर्ताओं को सक्रियता बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
बसपा की दो शर्तें

बसपा ने कांग्रेस के सामने 2 शर्तें रखी हैं। पहली तो यह कि वह जांजगीर लोकसभा साधने के हिसाब से सीटें शेयर करेगी। दूसरी, अगर ऐसा नहीं होता तो पार्टी कांग्रेस से 8 सीटें हासिल करना चाहेगी।
कांग्रेस की मजबूरी, बसपा की शर्तें माने

कांग्रेस प्रदेश में बने एंटी-इनकंबेंसी माहौल को भुनाना चाहती है। अगर कांग्रेस 5 से 8 सीटें बसपा को दे भी देती है तो भी कांग्रेस 38 सीटें ला सकती हैं। चूंकि कांग्रेस ऐसी कोई सीट बसपा को नहीं देगी जहां वह पिछले 2 चुनावों में कभी न कभी जीती है। ऐसी सीटों में सारंगढ़ पर भी पेंच फंसा था।
बसपा अलग लड़ी तो कांग्रेस पर दोहरी मार

कांग्रेस मानती है कि जोगी बरास्ता एससी वोटों के सेंधमारी कर रहे हैं। बसपा के अलग होने से इन वोटों को जोगी और बसपा दोनों मिलकर अधिक काटने में सक्षम हैं। इसलिए कांग्रेस नहीं चाहती कि बसपा अलग चुनाव लड़े।
कांग्रेस एससी-एसटी एक्ट का फायदा उठाने की फिराक में

एससी-एसटी एक्ट में बिना जांच गिरफ्तारी का प्रावधान खत्म करने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को केंद्र द्वारा बदलने से सामान्य वर्ग में नाराजगी है। कांग्रेस इस मामले में चुप है। वह इसका फायदा इन चुनावों में बिना एससी-एसटी वोटों को नाराज किए लेना चाहती है। इस लिहाज से कांग्रेस को भरोसा है कि सामान्य वर्ग का वोट भाजपा से कांग्रेस की ओर बड़ी संख्या में डायवर्ट होगा। ऐसे में बसपा का साथ और मिल जाए तो राज्य में तख्तापलट तय है।
इन सीटों पर बात

बसपा ने कांग्रेस से सारंगढ़, बेलतरा, तखतपुर, नवागढ़, गुंडरदेही, आरंग, पामगढ़, अकलतरा, चंद्रपुर, बिलाईगढ़, कसडोल, जांजगीर, जैजैपुर मांगी हैं। इनमें से सारंगढ़, बेलतरा, तखतपुर, नवागढ़, गुंडदेरही, आरंग को छोड़ दें तो शेष सातों जांजगीर लोकसभा में हैं। ऐसे में कांग्रेस को लोकसभा में महागठबंधन की स्थिति में एक सीट बसपा को देनी पड़ सकती है। इसलिए कांग्रेस ने जांजगीर, बिलाईगढ़, कसडोल, अकलतरा देने से मना कर दिया है। कांग्रेस बसपा को पामगढ़, सारंगढ़, जैजैपुर, चंद्रपुर, आरंग और अहिवारा या नवागढ़ में से कोई एक सीट देने को राजी है। बसपा तखतपुर, बेलतरा को भी जुड़वाना चाहती है।
प्रदेश में बसपा ही है जोगी का काट

बसपा की छत्तीसगढ़ में होरीजेंटल पकड़ है। बसपा ने 2003 में साढ़े 4 फीसदी मत हासिल किए थे, जबकि चुनाव 54 सीटों पर ही लड़ा था। वहीं 2008 में यह ग्राफ बढ़कर साढ़े 6 फीसदी तक पहुंच गया और पार्टी ने 2 सीटें भी जीत ली। लेकिन 2013 में पार्टी का मतप्रतिशत घटकर फिर साढ़े 4 फीसदी पर आ थमा। वहीं पार्टी ने साल 2003 से 2013 तक के हर चुनाव में 10 हजार से अधिक मत हासिल करने वाली सीटों की संख्या लगातार 14 रखी है। जबकि 5 से 10 हजार मतों के बीच वाली सीटों की संख्या 2003 में 8 थी तो 2008 में यह बढ़कर 14 पर पहुंच गई, लेकिन 2013 में यह एकदम से घटकर सिर्फ 2 रह गई। इसके अलावा बसपा ने ऐसी सीटों में लगातार इजाफा किया है जहां पार्टी को 2 से 5 हजार तक वोट मिले हों। इनकी संख्या साल 2003 में 21, साल 2008 में 42 और साल 2013 के चुनाव में 43 पर आ पहुंची। ऐसा ही बसपा ने अपना जनाधार 2 हजार तक मत हासिल करने वाली सीटों में बढ़ाया। यह संख्या साल 2003 और 2008 में जहां 10 थी तो वहीं साल 2013 में यह एकदम से बढ़कर 31 पर पहुंच गई। बसपा ने 20 हजार से अधिक मतों वाली सीटों की संख्या 2003 में 7, साल 2008 में 9 और साल 2013 में 8 तक कायम रखी है।
वर्जन

ऊपर बात चल रही है। जमीनी कार्यकर्ताओं का ख्याल रखकर ही कोई फैसला लिया जाएगा।

– अभय नारायण राय, प्रवक्ता, कांग्रेस

—-

हमें मैदानी स्तर पर सक्रिय रहने के निर्देश मिले हैं। सबका मकसद भाजपा को हराना है।
– एमएल भारती, प्रदेश प्रभारी, बसपा

Home / Bilaspur / हाथ और हाथी बनेंगे साथी, 6 सीटों की पालकी बसपा के हवाले

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो