scriptपरिजन बोले सिर्फ नाम के निर्णय हुए, जब शिक्षा विभाग की मंशा ही नहीं तो कैसे रुकेगी निजी स्कूलों की मनमानी | CBSE School Principals Meeting in Bilaspur | Patrika News
बिलासपुर

परिजन बोले सिर्फ नाम के निर्णय हुए, जब शिक्षा विभाग की मंशा ही नहीं तो कैसे रुकेगी निजी स्कूलों की मनमानी

मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में जिले के सभी सीबीएसई स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में संपन्न हुई।

बिलासपुरMay 14, 2019 / 08:24 pm

Murari Soni

CBSE School Principals Meeting in Bilaspur

परिजन बोले सिर्फ नाम के निर्णय हुए, जब शिक्षा विभाग की मंशा ही नहीं तो कैसे रुकेगी निजी स्कूलों की मनमानी

बिलासपुर. मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय में जिले के सभी सीबीएसई स्कूलों के प्राचार्यों की बैठक अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में संपन्न हुई। बैठक में जिला शिक्षा अधिकारी, सहायक संचालक, सहायक जिला परियोजना अधिकारी भी मौजूद रहे। इस मौके पर अपर कलेक्टर ने छात्रों से ली जाने वाली वार्षिक शिक्षण शुल्क एवं अन्य शुल्क के निर्धारण के संबंध मे प्राचार्यों से चर्चा की गई। चर्चा उपरांत सर्वसम्मति से महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। प्रशसन द्वारा लिए गए निर्णय पर पालकों ने कहा कि प्रशासन ने सिर्फ एक नया बदलाव ये किया कि अब निजी स्कूल वार्षिक शुल्क के नाम पर सिर्फ 2000 रुपए की लेंगे। लेकिन बसूली के लिए उनके अन्य रास्ते अभी भी खुले रखें हैं, जिससे वे परिजनों से मोटी रकम बसूल कर लेंगे।

ये हुए महत्वपूर्ण निर्णय:
1. प्रत्येक स्कूल प्रायमरी कक्षा से हायर सेकेंडरी तक की कक्षाओं के लिए सभी विषयों की एनसीईआरटी की ही पुस्तकें चलाना अनिवार्य है। सपोर्टिंग बुक्स के रुप में किसी भी अन्य प्रकाशन की पुस्तकें नहीं चला सकते।
2. नर्सरी केजी कक्षाओं हेतु सभी स्कूल जिन प्रकाशक की किताबें चलाएंगे। उसकी सूची सत्र आरंभ के 2 माह पहले डीईओ कार्यालय भेजेंगे।
3. सत्र 2020-21 में एनसीईआरटी पुस्तकों के अलावा अन्य प्रकाशकों की सपोर्टिंग पुस्तके चलाई जाना है, उसकी सूची 3 महिने पहले डीईओ कार्यालय भेजी जाए।
4. स्कूल साल में केवल 10 माह की फीस ही ले सकेंगे।
5. पालक समिति का गठन करें और प्रत्येक 2 माह में आवश्यक रुप से समिति की बैठक हो।
6. गणवेश और बच्चों के उपयोग सामग्री की सूची स्कूल लगने के 2 महिने पहले शिक्षा विभाग भेजें।
7. शाला प्रबंध समिति की बैठक जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी व प्रतिनिधी की उपस्थिती में अनुमोदन के बाद ही शिक्षण शुल्क का निर्धारण स्कूल संचालक करें। यदि समिति की सर्व सम्मति से सकारण शुल्क में वृद्धि करने आवश्यक है तो वह न्यूनतम हो।
8. सभी स्कूल सत्र 2017-18 एवं 2018-19 का मदवार शुल्क विवरण, सत्र 2016*17 एवं 2017-18 के आडिट रिपोर्ट के साथ 3 दिन में डीईओ कार्यालय में प्रस्तुत करें।
9. स्कूल में कार्यरत शिक्षक , कर्मचारी की शैक्षणिक योग्यता के साथ पूरी जानकारी शिक्षा विभाग में 3 दिन में भेजें।
10. स्कूल बसों के चालकों, कंडक्टरों और चतुर्थ वर्ग के कर्मचारियों का पुलिस बेरीफिकेशन कराकर जानकारी भेजें।
11. स्कूल संचालक 3 दिनों में सीबीएसई मान्यता की प्रति भेजें।
12. पालकों की सहमति से 05 वर्षों में ही गणवेश में बदलाव कर सकते हैं।

स्कूलों की मनमानी रोकने ये तय हुआ:
-पंजीयन शुल्क केवल पहले एडविशन के समय ही लेंगे उसके बाद कभी नहीं।
-डेली डायरी व आईकार्ड की राशि साल में एक बार।
-शिक्षण शुल्क वार्षिक।
-परीक्षा शुल्क वार्षिक।
-खेल शुल्क वार्षिक।
-क्रियाकलाप शुल्क वार्षिक।
-प्रयोगशाला राशि वार्षिक।
-लाइब्रेरी शुल्क वार्षिक।
-कम्प्यूटर/स्मार्ट क्लास की राशि साल में तब जब स्कूल में ये हो।
-निर्धन छात्र कल्याण निधी वार्षिक।
-वाहन शुल्क दूरी के हिसाब से महिने में।
-प्रवेश शुल्क प्रवेश के समय एक ही बार।
-सुरक्षा निधी वापिसी योग्य।
-वार्षिक शुल्क वार्षिक अधिकतम 2000 रुपए।

इधर राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग से कटेगा दूसरा नोटिस:
निजी स्कूलों से त्रस्त पालकों ने विगत दिनों छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण सदस्य दिलीप कौशिक के नेतृत्व में 8 बिंदुओं को लेकर ज्ञापन सौंपा था। आयोग द्वारा शिक्षण लोक संचनालय और बिलासपुर जिला शिक्षा अधिकारी को नोटिस देकर 4 मई तक जबाब मांगा गया था। जबाब न मिलने पर अब आयोग दूसरा नोटिस भेजने की तैयारी कर रहा है। पहले नोटिस पर डीईओ आरएन हीराधर ने कहा था कि वे जल्द ही आयोग को प्रतिवेदन भेजेंगे लेकिन अभी तक कोई प्रतिवेदन नहीं भेजा गया।

पालकों ने हमारे नेतृत्व में आयोग को निजी स्कूलों की शिकायत की थी। जिसमें पालकों के अधिकारों का हनन हुआ था। आयोग में मामला पंजीबद्ध होने के बाद एक नोटिस पहले दिया गया था, जबाब न आने पर अब दूसरा नोटिस भी भेजा जा रहा है।
दिलीप कौशिक
छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग।

प्रशासन ने कोई प्रभावी निर्णय नहीं लिए हैं। एनुअल फीस को जो निर्णय हुआ है उसका भी निर्धारण नहीं हैं। अलग-अलग फीसों के रुप में स्कूल संचालक मोटी रकम बसूल लेंगे।
पवन ताम्रकार
पालक।

Home / Bilaspur / परिजन बोले सिर्फ नाम के निर्णय हुए, जब शिक्षा विभाग की मंशा ही नहीं तो कैसे रुकेगी निजी स्कूलों की मनमानी

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो