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बिलासपुर

तीन करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी का मामला पहुंचा हाईकोर्ट, स्टील कारोबारियों में हड़कंप

chhattisgarh high court latest: दो लोहा कारोबारियों पर है धोखाधड़ी का आरोप

बिलासपुरJan 27, 2020 / 11:46 am

Murari Soni

sarpanch name removed from voter list matter came to high court

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बिलासपुर/रायपुर। लोहा कारोबारियों से तीन करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी करने वाले दो भाइयों का चर्चित मामला अब हाईकोर्ट पहुंच गया है। इससे लोहा कारोबारियों में हड़कंप मच गया है। आरोपी बड़े भाई को निचली अदालत से जमानत मिल गई है, जिसके खिलाफ फरियादी ने कोर्ट में फिर याचिका लगाई है। वहीं छोटे भाई की जमानत याचिका खारिज हो गई है। अब यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है, जहां इसकी सुनवाई होने वाली है।
हाल ही में तीन करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी के मामले में जय बालाकृष्णा ट्रेडिंग कंपनी केयर ऑफ विनायक मेटेलिक्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक नंदकिशोर अग्रवाल ने पुलिस में मामला दर्ज कराया था। इस मामले में पुलिस ने आरोपी सुनील गुप्ता
को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। बाद में इसमें उसको जमानत मिल गई। इसकी जानकारी होने पर फरियादी नंदकिशोर अग्रवाल ने जमानत को चुनौती देते हुए उसके खिलाफ याचिका दायर की। जिसमें कहा गया कि आरोपी ने गलत तथ्य पेश करके जमानत ली है। दूसरी ओर इसी मामले में सुनील के भाई आशीष गुप्ता को जमानत नहीं मिली, तो उसने हाईकोर्ट में जमानत के लिए आवेदन लगाया है। करोड़ों की इस धोखाधड़ी से लोहा कारोबारियों में हड़कंप की स्थिति है। उल्लेखनीय है कि सुनील और आशीष ने कई कारोबारियों से पैसा लिया है। साथ ही उनसे माल खरीदकर भुगतान भी नहीं किया है। फरियादी का कहना है कि दोनों भाइयों ने कारोबार की रकम अपनी दूसरी फर्मों में भेजी और भारी हेरफेर किया। जब धोखाधड़ी की जानकारी मिली तो इनके साथ कारोबार बंद करके रकम लौटाने का दबाव बनाया, लेकिन इन्होंने फिर चेक देकर मामले को टालने की कोशिश की। बाद में इनके दिए हुए चेक भी बाउंस हो गए।
क्या था मामला
गोगांव में जय बालाकृष्णा ट्रेडिंग कंपनी केयर ऑफ विनायक मेटेलिक्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक नंदकिशोर अग्रवाल एमएच वॉयर, रॉड, जीआई वॉयर आदि का कारोबार करते हैं। वर्ष 2011 से उनकी कंपनी ने गणपति एलाइड वक्र्स प्राइवेट लिमिटेड के संचालक आशीष गुप्ता और सुनील कुमार गुप्ता को एमएच वॉयर रॉड व अन्य सामान की आपूर्ति की थी। इसके एवज में उन्हें दोनों से कुल 2 करोड़ 70 लाख और 88 लाख 89 हजार रुपए का भुगतान लेना था। आरोपियों ने इतनी राशि के दो चेक नंदकिशोर को दिए। नंद किशोर ने दोनों चेक भुगतान के लिए लगाए, तो चेक बाउंस हो गए। इसके बाद नंदकिशोर ने आरोपियों पर भुगतान करने के लिए दबाव बनाया।
हुआ था समझौता
फिर आरोपियों ने नंदकिशोर के साथ एक समझौता किया। समझौता के दौरान आरोपियों ने स्वीकार किया था कि उन्हें कुल राशि 3 करोड़ 83 लाख 86 हजार 175 रुपए का भुगतान करना है। इस राशि के भुगतान से बचने के एवज में आरोपियों ने कहा कि वे अपनी कंपनी गणपति स्टील के लाभ और हानि संबंधी खाते की जानकारी हर माह नंदकिशोर अग्रवाल को देने के साथ ही कंपनी के कुल लाभ का 45 फीसदी हिस्सा नंदकिशोर को देंगे। इस तरह की कई शर्तें थी। बाद में आरोपियों ने समझौते की शर्तो का पालन नहीं किया और न ही पैसा लौटाया। इसकी शिकायत नंदकिशोर ने गुढिय़ारी थाने में की। इसके बाद पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ धोखाधड़ी का अपराध दर्ज किया था।

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