जब वह बड़ी होने लगी तो उसकी परवरिश की जिम्मेदारी महिला कैदियों (Women prisoner) को दे दी गई। वह जेल के अंदर संचालित प्ले स्कूल में पढ़ रही थी। लेकिन वह जेल की इस कैद भरी दुनिया से आजाद होना चाहती थी। कलेक्टर (collector) की पहल पर जेल में रह रहे 17 अन्य बच्चों को भी जेल से बाहर स्कूलों में एडमिशन (Admission in school) की प्रक्रिया शुरू करवा दी गई है।
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