इसलिए कांग्रेसियों ने स्ट्रांग रुम के सामने सातों विधानसभा से 24घंटा कार्यकर्ताओं को अलग अलग शिफ्ट में तैनात करने का निर्णय लिया है। जिलाध्यक्ष विजय केशरवानी का कहना है कि स्ट्रांग रुम के सामने कांग्रेस के कार्यकर्ता तैनात रहेगें। इसके लिए जिला प्रशासन से अनुमति मांगी गई है। सातों विधान सभा से अलग अलग दिन कार्यकर्ता उपस्थित होकर ड्यूटी देंगे।
स्ट्रांग रूम के आसपास है कड़ी व्यवस्था : सातों विधान सभा के मतदान के बाद वापस लाए ईवीएम मशीन को स्ट्रांग रुम में रखा गया है। जिस भवन में मशीनों को रखा गया है उसके चारों तरफ इतनी तगड़ी व्यवस्था है कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। निर्वाचन कार्य में लगे अधिकारियों की माने तो मतदान दल मशीन को लेकर विधानसभावार बनाए गए काउंटर में मशीन लेकर आते हैं। मशीन का नम्बर को मिलान किया जाता है कि वही मशीन है कि जो मतदान कराने के लिए दिया गया था। मशीन को पूरी तरह से चेक किया जाता है किस प्रकार की गड़बड़ी तो नहीं की गई।
मशीन जमा करने वाले अधिकारी को मशीन प्राप्त करने की पावती दी जाती है। इसके वहां पर तैनात कर्मचारी तहसीलदार के साथ मशीन को लेकर स्ट्रांग रुम तक जाता है। कमरा अन्दर मशीन को विधानसभावार रखा जाता है। उसके बाद कमरा को सील कर दिया जाता है। कमरा को आब्जर्वर द्वारा सील किया जाता है। जिसे अब केवल मतगणना के दिन ही खोला जा सकता है। जिस कमरे में मशीनें रखी जाती हैं। उसके ख्खिड़की दरवाजा छत की कंडीशन को चेक किया जाता है। खिड़कियों में अन्दर से जाली लगाई जाती है। सभी खिड़कियों को पूरी तहर से पैक कर दिया जाता है। मतदान के दिन आब्जर्वर तहसीदार के सामने कमरा का सील खोलेगा इसके बाद एक एक मशीन को सीआरपीएफ के सुरक्षा कमिर्यो के सामने बाहर निकाला जाता है। जिस- जिस कमरे में मशीन रखी गई है, उसके सामने कैमरा लगाया गया है। 24 घंटे सीआरपीएफ के जवाब तैनात रहेगें। सुरक्षा बल जांंचते हैं। बिना परिचय पत्र के किसी को परिसर के अन्दर प्रवेश नहीं दिया जाता है।
सीआरपीएफ के बगल में रह सकते हैं : स्ट्रांग रुम के बाहर सीआरपीएफ के जवाब तैनात किया गया है। जहां मशीनें हैं उसके सामने कैमरा लगाया गया है। किसी भी पार्टी के नेता रहना चाहें तो सीआरपीएफ के बगल से रह सकते हैं।
पी दयानंद, कलेक्टर