शासकीय अधिवक्ता फैजिया मिर्जा के अनुसार भिलाई में 25 फरवरी 2015 को साढ़े 5 साल की मूक बधिर बच्ची घर के बाहर खेल रही थी जिसे भिलाई निवासी राम सोना पिता गुल्ली सोना उठाकर अपने घर ले गया था। घर में उसका मित्र अमृत सिंह टीवी देख रहा था। राम सोना ने बच्ची के साथ बलात्कार किया और बच्ची की हत्या कर दी थी। बच्ची की लाश को बोरी में भरते समय छोटे भाई दीपक ने देख लिया था। राम सोना ने दीपक को घटना का जिक्र दूसरे से नहीं करने की धमकी दी थी। बच्ची की लाश को राम सोना, अमृत और राम सोना की मां कुंति सोना ने नाले में ले जाकर फेंक दिया था। मामले में पुलिस ने शक के आधार पर अमृत सोना और कुंति सोना को हिरासत में लेकर पूछताछ की थी। दोनों ने घटना का खुलासा किया था। आरोपी राम सोना, अमृत और कुंति सोना के खिलाफ अपराध दर्ज करने के बाद पुलिस ने कोर्ट के आदेश पर जेल भेज दिया था।
मामले में दुर्ग डीजे कोर्ट ने सुनवाई करते हुए 24 अगस्त 2018 को आरोपीराम सोना को दुष्कर्म व हत्या का दोष सिद्ध होने पर फांसी की सजा व कुंति व अमृत को साथ देने पर अलग-अलग धाराओं के तहत सजा सुनाई थी। दुर्ग डीजे कोर्ट के खिलाफ आरोपियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
हाईकोर्ट में जस्टिस प्रशांत मिश्रा व गैतम चौरडिय़ा की डबल बैंच ने सुनवाई करते अपील खारिज करते हुए निचली अदालत का फैसला यथावत रखते हुए मुख्य आरोपी राम सोना की फांसी की सजा और सह आरोपियों को दी गई सजा यथावत रखने का आदेश जारी किया है।