READ MORE : चपरासी और होमगार्ड ने सिविल सर्जन के चेंबर से मरीज को धक्का देकर बाहर निकाला उनकी स्थित समय के साथ अधिक दयनीय हो गई त्योहार से उनका कोई सरोकार नहीं होता है मेहनत से बनाए दीपों व मां लक्ष्मी की दीप वाली मूर्तियों को बेचकर अपने मेहनत की राशि प्राप्त करने में जुटे रहते है। सिर्फ शिल्पकार ही नहीं बल्कि उसका पूरा परिवार इस कार्य में जुटा रहता है। त्योहार के बाद ही आराम कर पाते है। जहां एक ओर पूरा शहर उत्साह से दीपोत्सव मनाता है वहीं ये लोग उनको देखकर ही खुश होते है कि हमारे दीए से पूरा शहर रोशन हो रहा है।
READ MORE : पूर्व पार्षद ने कहा-हमने दिवाली तक मोहलत मांगी है, निगम कर्मियों ने कही यह बात और फिर…देखें वीडियो पारंपरिक व्यवसाय से मोह हो रहा खत्म : मिट्टी के दीए व अन्य सामग्री बनाने वाले कलाकारों का मोह अब अपने पारंपरिक व्यवसाय से धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। खुद तो कम शिक्षा के कारण मेहनत कर रहे है लेकिन अपने बच्चों को एेसी कष्टदायी जीवन से दूर रखने पढ़ा-लिखा कर
सरकारी नौकरी व अन्य कार्यों में लगा रहे है। बच्चें भी पारंपरिक व्यवसाय से दूर होना चाहते है।
भविष्य न हो अंधकारमय : मिट्टी के दीए बनाने वाले कुम्हारपारा निवासी विष्णु प्रजापति ने बताया कि हमारा पूरा परिवार दीपावली से पूर्व ही कार्य में जुटा रहता है ताकि अधिक से अधिक संख्या में दीए बनाए जाए।