एडमिशन के नाम पर पालकों से प्रत्येक वर्ष वसूल रहे मोटी रकम, मनमानी जारी
शिक्षा को बनाया व्यवसाय: कहीं खेल मैदान का अभाव, ट्रांसपोर्ट के नाम पर भी वसूली
एडमिशन के नाम पर पालकों से प्रत्येक वर्ष वसूल रहे मोटी रकम, मनमानी जारी
बिलासपुर. शहर के अंग्रेजी स्कूलों में केवल कॉपी-किताबों के नाम पर ही कमीशनखोरी का खेल नहीं चल रहा है बल्कि स्कूल के संचालक पालकों से एडमिशन व न्यू एडमिशन के नाम पर भी प्रत्येक वर्ष मोटी रकम वसूल रहे है। शहर के कई निजी स्कूलों में तो बच्चों के खेलने के लिए प्ले ग्राउंड तक नहीं है,फिर भी स्पोट्र्स शुल्क जमा कर रहैं। यही हाल ट्रांसपोर्ट के नाम पर है लेकिन शिक्षा विभाग की नजर स्कूलों की मनमानी पर नहीं पड़ रही है। नए शैक्षिक सत्र में शहर के अधिकांश अंग्रेजी स्कूलों में बड़े ही सुनियोजित तरीके से पालकों को लूटने का काम किया जाता है। यह लूट निजी प्रकाशकों की कॉपी-किताबों की फिक्स दुकान से खरीदी कराने से शुरू होती है और फिर एक-एक कर अलग-अलग मदों में पालकों से वसूली की जाती है। इनमें से एक मद है एडमिशन शुल्क। प्रत्येक वर्ष यह शुल्क वसूला जाता है। न्यू एडमिशन के नाम पर पहली बार शुल्क की राशि अलग-अलग स्कूलों में कई स्तर की है। यह पांच हजार रुपए से शुरू होकर 10 हजार रुपए तक है। एक कक्षा पास करने के बाद बच्चा अगली कक्षा में प्रवेश करता है तो पालकों से बच्चे के प्रवेश के लिए एडमिशन शुल्क वसूला जाता है।
शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि नियमत: एक बार प्रवेश शुल्क लिया जाना चाहिए,क्योंकि एक बार प्रवेश शुल्क लेने के बाद कक्षाएं बदलने से शुल्क लेने का औचित्य नहीं है।
स्पोट्र्स व ट्रांसपोर्ट के नाम पर भी वसूली
निजी स्कूल संचालक बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए खेल के आयोजन कराते हैं। कुछ नामचीन स्कूलों में नियमित रूप से खेल होते हंै लेकिन अधिकांश निजी स्कूलों में यह सुविधाएं नहीं हैं। इसी प्रकार स्कूल बस व ऑटो के नाम पर भी भारी फीस ली जाती है। एक पालक ने बताया कि मई के प्रथम सप्ताह में स्कूल बंद होंगे तो भी इन दोनों में मदों में मई माह की पूरी फीस ली जाएगी। इसी प्रकार 20 जून के स्कूल खुलेंगे लेकिन पालकों से पूरे जून माह की फीस वसूली जाएगी।
यहां कबाड़ के बीच बच्चे करते हैं पढ़ाई
सरकण्डा स्थित एक निजी स्कूल में बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल परिसर समतल न होने के कारण बच्चों को खेलने में परेशानी होती है। वहीं मुरुम और पत्थर के बड़े-बड़े टुकड़े पड़े होने के कारण कई बार बच्चे घायल हो जाते हैं। इसी तरह मैदान के पास ही खुले में पुराने कबाड़ डंप है। खेल के दौरान कई बार बच्चे इस कबाड़ के पास पहुंच जाते हैं।
प्ले ग्राउंड बना स्टैण्ड
सरकंडा क्षेत्र के जबड़ापारा स्थित एक निजी स्कूल को को ही लें। यह स्कूल लंबे समय से किराए के भवन में किया जा रहा है। जहां बच्चों के लिए मानकों के अनुसार खेल मैददान नहीं है। इस खेल मैदान के रूप में चिह्नित स्थान को पार्किंग के रूप में तब्दील कर दिया गया है। यहां टीचर व अन्य कर्मचारी अपनी गाड़ी खड़ी करते हैं। इससे बच्चों को खेलने के लिए जगह नहीं मिल पाती। पालकों ने बताया कि संचालक द्वारा स्कूल के बाजू में खाली पड़ी जगह पर मैदान बनाने का आश्वासन दिया था। आठ साल बीत गए मैदान अभी तक नहीं बना। पालकों ने जब इस बारे में प्रबंधक से चर्चा की तो उन्होंने बताया कि अशोक नगर में मैदान के लिए जगह चयनित की है, जिसका जल्द निर्माण किया जाएगा। पालकों ने जब मौके पर जाकर देखा तो उन्हें मैदान नजर नहीं आया।
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