READ MORE : Video रेलवे अफसर ने कहा, जीआरपी सहयोग नहीं करती, आईजी काबरा बोले, अब मिलेगा पूरा सहयोग लेकिन निर्माण होने के पांच साल बाद पुल दरार आ गयी थी। काफी मरम्मत के बाद पुल आवागमन के लिए एक बार फिर खोला गया। लेकिन दरार फिर भी आ गयी। इसके बाद करीब ढाई साल के लिए पुल को आवागमन के लिए बंद कर दिया गया। साढ़े 3 करोड़ की लागत से बने इस पुल को दोबारा तैयार करने में शासन ने 3 करोड़ अतिरिक्त राशि खर्च किया। पुल जर्जर होने के बाद हाईकोर्ट ने मामले में संज्ञान लेते हुए जांच का आदेश दिया। एसीबी ने जांच कर तत्कालीन ईई एससी खंडेलवाल, लोक निर्माण विभाग प्रभारी अधीक्षण यंत्री, सब इंजीनियर आरके वर्मा और सुदंरानी कंस्ट्रक्शन के डायरेक्टरों के खिलाफ जुर्म दर्ज किया गया। मामले को विशेष न्यायालय में पेश कर चालानी कार्रवाई की गयी। चालानी कार्रवाई के बाद कोर्ट से आरोपियों को उपस्थित होने के लिए नोटिस भेजा गया। बावजूद इसके आरोपी अदालत में उपस्थित नहीं हुए। न्यायालय ने मामले को गंभीरता से लेते हुए गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। इसके बाद एसीबी और ईओडब्लू को आरोपियों की तलाश तेज कर दी। ईओडब्लू ने वर्मा को कोर्ट में पेश कर दिया है। अगली सुनवाई में आरोपियों को पेश करने का आदेश दिया गया है।