डीजीपी ने ऐसे मामले जिनमें की गई पुलिस की कार्रवाई से फरियादी असंतुष्ट होते है और शिकायत पीएचक्यू से करने पहुंचने हैं उन मामलों की जांच सीआईडी क्षरा किए जाने के आदेश दिए हैं। लंबित पुराने मामलों की अपेक्षा हाल ही के मामलों पर ज्यादा ध्यान देने की हिदायत सीआईडी यूनिट को दी गई है।
शहर का एक चर्चित मामला
विधानसभा चुनाव के पूर्व वर्ष 2018 में पुलिस परिवार आंदोलन के मद्देनजर पुलिस परिवार के सदस्यों को पकडऩे के मामले में महिला थाने कवरेज करने पहुंची टीवी चैनल की पत्रकार श्रेयापांडेय और कैलाश यादव महिला पुलिस कर्मियोंने विवाद किया था। जबरदस्ती मीडिया कर्मियों के खिलाफ महिला थाने में शासकीय कार्य में बाधा डालने का गैरजमानतीय प्रकरण दर्ज किया गया था। इस मामले को जांच के लिए डीजीपी ने सीआईडी को सौंपा है।
पुलिस की उदासीनता और पुलिस पर आरोप लगाने वाले मामलों की भी होगी जांच
प्रदेश में ऐसे प्रकरण जिनमें पुलिस द्वारा जांच में उतादीनता बरती गई है और पुलिस पर पक्षपात पूर्व कार्रवाई करने के आरोप लगे हैं उन मामलों की जांच सीआईडी यूनिट को सौंपी गई है। इन मामलों में अविलंब जांच करने और रिपोर्ट संबंधित अधिकारी को सौंपने कहा गया है।
सीबी, सीआईडी स्वतंत्र होकर करेगी काम
–प्रदेश में पहले ही अनुसंधान सेल व क्राइम ब्रांच को भंग कर दिया गया है। सीबी सीआईडी स्वतंत्र होकर काम करेगी। पुलिस अधीक्षक अपने जिलों में घटित होने वाले मामलों को सुलझाने में सक्षम हैं। ऐसे प्रकरण जो पुरानी सीआईडी में दबे थे, उनकी जांच करने कहा गया है। साथ ही असंतुष्ट फरियादियों की शिकायत की जांच भी सीआईडी(New CID team)करेगी। मामलों की गंभीरता को देखते हुए सार्वजनिक नहीं किए जा सकते।
डीएम अवस्थी, डीजीपी