आईजी प्रदीप गुप्ता ने चार्ज लेने के बाद जिले के राजपत्रित अधिकारियों और थानों की मीटिंग की ली। अधिकारियों और थानेदारों से चारसौबीसी और धोखाधड़ी के मामलों की जांच के संबंध में जानकारी ली थी। अधिकारियों और थानेदारों ने बताया कि मामला दर्ज करने के बाद पूर्व आईजी दिपांशु काबरा के आदेशानुसार इसे जांच के लिए रेंज स्तरीय एसआईयू (स्पेशल इनवेस्टिगेशन यूनिट) को भ्भेजा जाता है। इस पर आईजी गुप्ता ने थानों में दर्ज होने वाले ऐसे मामलों की जांच संबंधित थानों के विवेचकों द्वारा कराने और सुपरविजन सीएसपी व एसडीओपी को करने के आदेश दिए।
पुलिस होती है अंतिम उम्मीद : आईजी गुप्ता ने कहा कि धोखाधड़ी के मामलों में पीडि़तों के लिए पैसा वापस मिलने की अंतिम उम्मीद पुलिस से होती है, इसलिए शिकायत मिलते ही तत्काल जांच करते हुए मामला दर्ज करना चाहिए। इसके साथी ही एफआईआर के बाद विवेचना करते हुए आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करना चाहिए। साथ ही संबंधित प्रकरणों में धोखाधड़ी की राशि आरोपियों से बरामद करने का प्रयास करना चाहिए।
जांच में लापरवाही व लेटलतीफी के कारण खात्मा किए जाने की परंपरा को बंद करने के निर्देश दिए : आईजी ने अधिकारियों व थानेदारों को संगीन मामलों की जांच पर विशेष ध्यान देने के लिए कहा है। उन्होंने संगीन मामलों की जांच में लापरवाही व लेटलतीफी के कारण खात्मा किए जाने की परंपरा को बंद करने के निर्देश दिए। आईजी ने कहा कि साल के अंत में पेंडेंसी कम करने के लिए थानेदार अधिकांश पेंडिंग संगीन मामलों का खात्मा कर देते हैं। यह परंपरा पिछले कई वर्षों से चली आ रही है। लेकिल अब संगीन पेंडिंग मामलों की जांच पर ध्यान देना जरूरी है। साल के अंत में पेंडिंग मामलों की जांच नए वर्ष प्रारंभ होने के बाद भी विवेचकों को
करनी पड़ेगी।
एसआईयू नहीं जाएंगी डायरियां : आईजी ने आदेश देते हुए कहा कि एसआईयू में रेंज स्तर के अनसुलझे मामले जांच के लिए भेजे जाएंगे। ऐसे मामले जिनमें संबंधित जिले की पुलिस को आरोपी नहीं मिले हैं। इसलिए अब धोखाधड़ी के अन्य प्रकरण न भेजे जाएं।