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बिलासपुर

हाईकोर्ट ने शासन से पूछा हाथ से मैला उठाने पर रोक लगाने के लिए अबतक क्या कार्यवाही की, हवा-हवाई नहीं विस्तृत जमीनी रिपोर्ट दें

हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों के लिए बनाए गए कानून का पालन नहीं किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को शासन ने एक बार फिर अपना जवाब पेश किया।

बिलासपुरMay 16, 2019 / 01:01 pm

Murari Soni

bilaspur highcourt

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बिलासपुर. हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों के लिए बनाए गए कानून का पालन नहीं किए जाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर बुधवार को शासन ने एक बार फिर अपना जवाब पेश किया। शासन के इस जवाब पर सीजे रामकृष्ण मेनन व जस्टिस मनींद्र मोहन श्रीवास्तव की युगलपीठ ने नाराजगी जताते हुए अधिकारियों से कहा हवा-हवाई नहीं मामले की विस्तृत जमीनी रिपोर्ट पेश करें।
बताएं कि प्रदेश भर में हाथ से मैला उठाने पर रोक लगाने के लिए अब तक क्या उपाय किया है। सफाई कर्मचारी अत्यंत दुरुह परस्थितियों में काम कर रहे हैं, उन्हें सुरक्षा मुहैया कराने की दिशा में क्या कदम उठाए गए हैं। युगलपीठ ने मामले की आगामी सुनवाई समर वेकेशन के बाद नियत की है।
ये पहला मौका नहीं है, जब हाईकोर्ट ने शासन को फटकार लगाई है। 27 फरवरी की सुनवाई के दौरान सचिव द्वारा दिए गए एफिडेबिट को भी कोर्ट ने भ्रामक और अपूर्ण बताते हुए सिरे से खारिज कर नए सिरे से जवाब देने को कहा था। कोर्ट के निर्देश के बाद भारी-भरकम रिपोर्ट पेश की गई। कोर्ट ने इसे भी अपूर्ण बताते हुए अधिकारियों को मौके पर जाकर निरीक्षण कर रिपोर्ट देने को कहा है। कोर्ट ने ये तक कहा अधिकारी एसी कमरे से निकलें और मौके पर जाकर सफाई कर्मचारी की बदहाली देख कर रिपोर्ट बनाए।
पिटिशनर इन परसन रायपुर के जनमेजय सोना ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर हाथ से मैला उठाने वाले सफाई कर्मचारियों के लिए बनाए गए कानून का पालन नहीं करने और पर्याप्त सुरक्षा तथा संसाधन के बिना काम लिए जाने का आरोप लगाया है। याचिका में कहा है कि प्रदेश में ऐसी कई घटनाएं हो चुकी है, जब सफाई कर्मचारियों की कार्य के दौरान दम घुटने से मौत हो गई है। लेकिन शासन द्वारा इनकी सुरक्षा का पर्याप्त इंतजाम नहीं किया गया है।
अवमानना मामले में गृह सचिव एवं डीजीपी को शपथपत्र में जवाब के निर्देश

बिलासपुर. जस्टिस पीसैम कोशी की एकलपीठ ने अवमानना मामले में गृह सचिव एवं डीजीपी को शपथपत्र के साथ जवाब पेश करने का निर्देश दिया है।
बिलासपुर निवासी मनोरमा तिवारी वर्ष 2008 में पुलिस विभाग में बस्तर जिले में पदस्थ थी। उक्त पदस्थापना के दौरान एक मामले में उनके एवं डीएसपी बीएन शर्मा के विरुद्ध शिकायत मिलने पर पुलिस महानिदेशक ने आरोप पत्र जारी कर विभागीय जांच की कार्यवाही प्रारंभ करने के आदेश दिए। विभागीय जांच प्रक्रिया में समस्त अभियोजन साक्षियों का बयान पूर्ण होने एवं अंतिम जांच रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के 4 वर्ष बाद भी अंतिम आदेश पारित नहीं की गई। इससे क्षुब्ध होकर मनोरमा तिवारी ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय के माध्यम से हाईकोर्ट में रिट याचिका लगाई।
हाईकोर्ट ने मामले को स्वीकार कर गृह सचिव अरुणदेव गौतम एवं डीजीपी दुर्गेश माधव अवस्थी को प्रकरण का निराकरण 60 दिनों में करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद भी प्रकरण का निराकरण तय समयावधि में नहीं किया गया। इस पर याचिकाकर्ता द्वारा अवमानना याचिका दायर की गई। अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गृह सचिव अरुणदेव एवं डीजीपी अवस्थी को नोटिस जारी कर शपथपत्र में जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।

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