बुजुर्ग महिला श्रीमती आभा बतातीं हैं कि उस समय अलगाव वादियों ने हमे और ब्रम्हाण परिवारों को पहले भयभीत किया। ट्र्रकों में लोग आए और परिवार को तितर-वितर कर दिया। जैसे तैसे पंडित वहां से अपनी जान बचाकर भागे। 90 के हालात बेहद नाजुक थे, आज धारा 370 हटने से उम्मीद बनी है, जो कश्मीरी पंडित कल तक सोचते थे कि आने वाले 2 से 3 सालों में उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा, वो सिर्फ इतिहास के पन्नों के किस्से रह जाएंगे।
read more- इस साल सावन सोमवार में भारत ने रचा नया इतिहास, देश में हुए ये तीन बड़े बदलाव लेकिन मोदी सरकार ने धारा 370 हटाकर(
Modi removed article 370 from kashmir) फिर एक उम्मीद बांधी है, कि ये कश्मीर पंडित का समाज फिर से हरा भरा होगा। उस समय हमारे मकान थे उन पर 50 प्रतिशत मकानों पर कब्जा कर लिया गया। जो बचे उन्हें धीरे-धीरे अनुदान में बेच दिया गया। वहीं उनकी बेटी रश्मि ने कहा कश्मीरी पंडितों(Kashmiri Brahmin’s reaction)की हमने अपने बुजुर्गों से दर्दनाक कहानी सुनी है। कैसे वे करोड़ो की प्रोपर्टी छोड़कर सड़कों पर आ गए थे। लेकिन वे खड़े हुए और संघर्ष किया।