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बिलासपुर

श्री पीताम्बरा पीठ में चौथे दिन कूष्मांडा देवी के स्वरूप की होगी

श्री पीताम्बरा पीठ में चौथे दिन कूष्मांडा देवी के स्वरूप की होगी पूजा। श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में चैत्र नवरात्र उत्सव में मांं बगलामुखी देवी का विशेष पूजन, श्रृंगार, जप, यज्ञ श्री देवाधिदेव महादेव का रुद्राभिषेक एवं श्री दुर्गा सप्तशती पाठ ब्राह्मणों के द्वारा निरंतर चल रहा है।

बिलासपुरApr 04, 2022 / 08:59 pm

SHIV KRIPA MISHRA

Kushmanda Devi will be worshiped on the fourth day

Kushmanda Devi will be worshiped on the fourth day in Pitambra peeth sakanda Bilaspur Chhattisgarh


श्री पीताम्बरा पीठ सुभाष चौक सरकंडा में चैत्र नवरात्र उत्सव में मांं बगलामुखी देवी का विशेष पूजन, श्रृंगार, जप, यज्ञ श्री देवाधिदेव महादेव का रुद्राभिषेक एवं श्री दुर्गा सप्तशती पाठ ब्राह्मणों के द्वारा निरंतर चल रहा है। आचार्य पं. दिनेश चंद्र पांडेय महाराज ने बताया कि नवरात्र के चौथे दिन मां बगलामुखी देवी की कूष्मांडा देवी के रूप में पूजा-आराधना की जाएगी। मां दुर्गा के चौथे स्वरूप को कूष्मांडा देवी कहते हैं। उनका सूर्य के समान तेजस्वी स्वरूप व उनकी आठ भुजाएं हमें कर्मयोगी जीवन अपनाकर तेज अर्जित करने की प्रेरणा देती हैं। उनकी मधुर मुस्कान हमारी जीवनी शक्ति का संवर्धन करते हुए हमें हंसते हुए कठिन से कठिन मार्ग पर चलकर सफलता पाने को प्रेरित करती है। मां के दिव्य स्वरूप का ध्यान हमें आत्मिक प्रकाश प्रदान करते हुए हमारी प्रज्ञा शक्ति को जाग्रत करके हमारी मेधा को उचित तथा श्रेष्ठ कार्यो में प्रवृत्त करता है। मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। इनके सात हाथों में क्रमश: कमण्डल, धनुष बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं. आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जपमाला है. इनका वाहन सिंह है। मान्यता है कि मां अपनी हंसी से संपूर्ण ब्रह्मांड को उत्पन्न करती हैं और सूर्यमंडल के भीतर निवास करती हैं। सूर्य के समान दैदिप्त्यमान इनकी कांति व प्रभा है. आठ भुजाएं होने के कारण ये अष्टभुजा देवी के नाम से विख्यात हैं। मान्यता के अनुसार, उन्हें कद्दू की बलि प्रिय है, इसलिए भी ये कूष्मांडा देवी के नाम से विख्यात है।अपनी मंद हंसी द्वारा अण्ड अर्थात् ब्रह्माण्ड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से अभिहित किया गया है. जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था. चारों ओर अंधकार ही अंधकार परिव्याप्त था. तब इन्हीं देवी ने अपने हास्य से ब्रह्माण्ड की रचना की थी। अत: यही सृष्टि की आदि-स्वरूपा आदि शक्ति हैं। इनके पूर्व ब्रह्माण्ड का अस्तित्व था ही नहीं। मां कूष्मांडा की उपासना से आयु, यश, बल, और स्वास्थ्य में वृद्धि होती है।
भगवती पीताम्बरा शत्रु नाशक श्री बगलामुखी दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या है यह मां बगलामुखी की स्तंभय शक्ति की अधिष्ठात्री है इन्हीं में संपूर्ण ब्रह्मांड की शक्ति का समावेश है। माता बगलामुखी की उपासना विशेष रूप से वाद-विवाद, शास्त्रार्थ, मुकदमें में विजय प्राप्त करने के लिए, अकारण आप पर कोई अत्याचार कर रहा हो तो उसे रोकने सबक सिखाने, बंधन मुक्त, संकट से उद्धार, ग्रह -शांति, शत्रुनाश एवं संतान प्राप्ति के लिए विशेष फलदायी है। माता बगलामुखी की उपासना से समस्त शत्रुओं का नाश होता है तथा भक्त सभी प्रकार की बाधा से मुक्त हो जाता है।

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