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बारिश न होने से मच गया हाहाकार, खेतों में पड़ने लगीं दरारें, गांव के गांव होने लगे खाली

locationबिलासपुरPublished: Jul 24, 2019 12:26:39 pm

Submitted by:

Murari Soni

Weather department warnings: भरी बरसात में पड़ रही भीषण गर्मी, अभी भी बारिस का इंतजार, मौसम विभाग बोला इस माह अब बारिश की संभावना नहीं

Lack of rain caused huge loss to villagers
बिलासपुर. जुलाई माह में मानसून ने किसानों को गच्चा दे दिया है। मौसम विभाग(Weather department warnings) ने साफ कह दिया है कि अब इस माह में बारिश की संभावना काफी कम है। कृषि विभाग के अनुसार 82 प्रतिशत छींटा बोनी हुई है, पौधे बड़े हुए हैं उन्हें पानी की सख्त जरूरत है। जबकि 28 प्रतिशत रोपा बोनी हुई है क्योंकि खेत में पानी है ही नहीं। ख्ेाती की चौपट होने की स्थिति में गांव खाली होने लगे हैं। आकाल की आशंका से ग्रामीण रोजगार की तलाश में दूसरे प्रदेश का रुख कर रहे हैं।
मानसून की बेरुखी के कारण खेती किसानी का काम पिछड़ गया है। ऐसे में अकाल की आशंका से किसान हताश और निराश नजर आने लगे हैं। बारिश न होने के कारण खेतों अब दरारें दिखने लगी है। उमस और भीषण गर्मी के कारण धान का पौधा मुरझाने लगे हैं। धान की बोआई के बाद पर्याप्त मात्रा में अब तक बारिश नहीं हो पाई है। इसके चलते धान का पौधा बढ़ नहीं पा रहा है।
अब एक और बड़ी परेशानी यह कि तेज उमस के कारण धान का पौधा मुरझाने लगा है। पौधों में लालिमा आने लगी है। किसानों का कहना है कि अगर एक सप्ताह के भीतर अच्छी बारिश नहीं होती है तो धान के पौधे पूरी तरह जल जाएंगे। तब खेत बंजर भूमि में तब्दील हो जाएगा । ऐसे में अकाल की आशंका से किसान हताश और निराश नजर आने लगे हैं। किसानों का कहना है कि मानसून की बेरुखी के कारण खेती किसानी का काम पिछड़ गया है।

रोजगार की तलाश में निकल रहे ग्रामीण
खेती बाड़ी चौपट होता देख ग्रामीणों में आकाल की आशंका घर कर गई है। ये बातें हम नहीं कह रहे बल्कि मंगलवार को बिलापुर स्टेशन पर एकाएक पहुंची ग्रामीणों की भीड़ कह रही थी। इस भीड़ को देखकर लोग काफी हैरान थे। ज्यादातर ये मजूदरों की भीड़ थी लोगों का कहना था कि रोपा और बोवाई के मौसम से बाहर काम करने वाले अपने गांव आते हैं और बोनी के बाद फिर से वापस चले जाते हैं। लेकिन बोनी के मौसम में इस प्रकार से बाहर जाने की भीड़ हैरान कर रही है। इस भीड़ में शामिल कुछ लोगों से बात करने की कोशिश की गई तो कुछ ने इंकार किया, पर कुछ लोगों ने साफ कहा कि उनकी खेती चौपट हो रही है, बारिश नहीं हो रही है, खेत में दरार पड़ चुकी है। उनके पास सिंचाई के साधन नहीं है इन हालात में आकाल की आशंका गांव में बन गई है। इसे देखते हुए वो रोजगार की तलाश में बाहर जा रहे हैं।
मई माह में आए थे वापस
स्टेशन पर ग्रामीणों ने बताया कि वो जिले से बाहर गए थे लेकिन मई-जून में खेती बाड़ी के काम से घर लौट आये थे बिलासपुर जिले मे लगातार तीसरे बरस भी बहुत कम बारिश हुई है। नतीजा खेत मालिको को मज़दूरों की आवश्यकता नहीं पड़ी। वहीं उनके खेत में भी सूखे की स्थिति है। ऐसे में वो पलायन के लिए विवश हैं।
पलायन रोकें एसडीएम
डॉ.अलंग ने सभी एसडीएम को निर्देशित किया कि रोजगार की तलाश में पलायन ना होने पाए । इसके लिए स्थानीय स्तर पर ही रोजगार उपलब्ध कराए।
अभी क्या बीत रही है किसानों पर…
जिस किसान के पास सिंचाई का साधन नहीं है वह आसमान की तरफ निहार रहा है। जिनके पास ट्यूबवेल है वह बिजली की कटौती से परेशान है। प्रतिदिन घंटो बिजली बंद रहती है। आती तो कभी हाई वोल्टेज या फिर कभी लो वोल्टेज की समस्या बनी रहती है। लो वोल्टेज के कारण ट्यूबवेल नहीं चलता है हाई वोल्टेज हुआ को पंप को भ्रस्ट हो जाता है।

सहकारी सेवा समितियों में खाद बीज का संकट नहीं है लेकिन सरकारी नुमाइंदों के फरमान से किसानों को अनेक दिक्कतें हो रही है। सरकार ने नियमों पर छूट दे रखी है लेकिन सरकारी अमला किसानों को परेशान करने में लगी है।
िगावों में मवेशियों को खुला छोड़ दिया गया है। किसान इस उम्मीद से लोगों को गायों को घर में बांधने के लिए कहते थे कि धान के फसल को नुकसान पहुंचाएगा लेकिन अब किसान उम्मीद छोडऩे लगे है। खेतों में पड़ी दरारें और धान पेड़ सूखते देख खेत के अन्दर घूसे जानवर को बाहर नहीं भगा रहे हैं।
िगर्मी बढऩे के कारण घरों में कूलर पंखा फिर से शुरू हो गया है। सुबह 10 बजे से लेकर रात्रि 12 बजे तक उमस भरी गर्मी रहती है।
कलेक्टर बोले कार्ययोजना बनेगी
टीएल बैइक मेंं मंगलवार को डॉ. संजय अलंग ने सूखे की स्थिति से निपटने के लिए कृषि, जल संसाधन और पीएचई विभाग के अधिकारियों को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि कम बारिश को देखते हुए सूखे की स्थिति से निपटने के लिए आवश्यक तैयारी रखें। कृषि अधिकारियों को अर्ली सीड के पर्याप्त स्टॉक एवं आवश्यकता पडऩे पर वितरण करने के निर्देश दिए। पशु अधिकारियों को चारे की पलब्धता सुनिश्चित करने के लिए कहा गया। यदि आवश्यक हो तो वन विभाग से चारे की मांग कर लें। पीएचई अधिकारियों को पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था रखने के निर्देश दिए। नगर निगम के अधिकारियों को भी पेयजल की उपलब्धता रखने को कहा।
किसी सिस्टम के नहीं बनने से अगले सप्ताह तक बारिश की संभावना नहीं, मचा हाहाकार
प्रदेश के 27 में से 18 जिलों में औसत से काफी कम बारिश हुई है। अगर यही स्थिति रही तो धरती की बची-खुची नमी भी आने वाले दिनों में समाप्त हो जाएगी। इन हालात में सूखे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। इधर मौसम विभाग ने भी जुलाई में किसी बड़े सिस्टम के बनने से इंकार करते हुए कहा है कि पूर्वानुमान के अनुसार इस महीने चार सिस्टम बनने थे, तीन बने भी, लेकिन इसमें से एक ही प्रभावी रहा। इस सिस्टम के कारण महीने के शुरुआत में अच्छी बारिश हुई। अब सारी उम्मीदें अगस्त पर है। हिमालय की तराई से एक सिस्टम बना है, जो धीमी रफ्तार से बढ़ रहा है। इसके एक सप्ताह बाद छत्तीसगढ़ में प्रभावी होने की संभावना है। इस वर्ष जुलाई के शुरुआती सप्ताह में जिले के कुछ हिस्सों में 150 से 200 मिलीमी. बारिश होने से संभावना जगी थी कि इस वर्ष मानसून सामान्य से अच्छा रहेगा। लेकिन करीब 12 दिनों के मानसून ब्रेक ने किए कराए पर पानी फेर दिया। बीते हफ्ते भर से पारा के 35 डिग्री से अधिक रहने से जो पानी बरसा वो वाष्पीकरण की प्रक्रिया में आधे से अधिक पानी उड़ गया। करीब 4 से 5 मिलीमी पानी प्रतिदिन वाष्पीकृत होने से नदी, तालाबों और बांधों के पानी की जलस्तर तेजी से घटता जा रहा है। अगर ये स्थिति लंबी खिंची तो हाहाकार मच सकता है।
पारा सामान्य से 6 से 7 डिग्री अधिक
प्रदेश में बारिश नहीं होने से तापमान लगातार बढ़ रहा है और 35 डिग्री से अधिक पर बना हुआ है। ऐसी स्थिति सिर्फ मैदानी नहीं बल्कि जगदलपुर, अंबिकापुर, राजनांदगांव, दुर्ग व बिलासपुर समेत अन्य जिलों की है। इन सभी जिलों में तापमान 6 से 7 डिग्री से अधिक है। जबकि इस मौसम में अधिकतम तापमान 25 से 27 व न्यूनतम भी इतना ही होना चाहिए।
–इस महीने चार सिस्टम बनने का पूर्वानुमान जताया गया था। तीन सिस्टम बने भी लेकिन उसमें से सिर्फ एक सिस्टम ही प्रभावी रहा। मानसून ब्रेक होने से इस महीने बारिश की संभावना काफी कम (Weather department warnings)है। अगस्त व सिंतबर में दो से तीन सिस्टम बनने से अच्छी बारिश होगी।
एमएल साहू, मौसम विज्ञानी
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