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बिलासपुर

हाई कोर्ट का आदेश बिना विवाह से उत्पन्न संतान को भी लालन-पालन भत्ता दे पिता

जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकलपीठ ने पिता की क्रिमिनल अपील को खारिज करते हुए बिना विवाह से उत्पन्न संतान को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।

बिलासपुरMay 11, 2019 / 08:52 pm

Murari Soni

Latest order of Chhattisgarh high court in Bilaspur

हाई कोर्ट का आदेश बिना विवाह से उत्पन्न संतान को भी लालन-पालन भत्ता दे पिता

. हाईकोर्ट: रिवीजन कोर्ट में लंबित है मामला

. बिना विवाह से उत्पन्न संतान को भी लालन-पालन भत्ता दे पिता

बिलासपुर. जस्टिस संजय के अग्रवाल की एकलपीठ ने पिता की क्रिमिनल अपील को खारिज करते हुए बिना विवाह से उत्पन्न संतान को गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है। जिला रायगढ़ के जूनाडीह निवासी दिलीप कुमार के खिलाफ दिवाती बाई ने निचली अदालत में आवेदन देकर बताया कि वह दिलीप की पत्नी है और उससे एक 9 वर्ष की बेटी है।
पति उसके साथ नहीं रहता इसलिए गुजारा भत्ता दिया जाए। निचली अदालत ने दिलीप को नोटिस जारी कर इस संबंध में अपना पक्ष रखने को कहा। अदालत को दिए जवाब में उसने बताया कि उक्त महिला दिवाती बाई से उसकी शादी नहीं हुई है और बच्ची उसकी नहीं है। इस पर न्यायिक दंडाधिकारी ने पत्नी को गुजारा भत्ता का हकदार नहीं मानते हुए पुत्री को भरण पोषण भत्ता दिए जाने का अधिकारी माना। ये मामला फिलहाल रिवीजन कोर्ट में लंबित है।
निचली अदालत के निर्णय के खिलाफ कथित पिता दिलीप द्वारा सीआरपीसी की धारा 482 के अंतर्गत हाईकोर्ट में क्रिमिनल याचिका दायर की गई। प्रकरण की सुनवाई के बाद एकलपीठ ने सुमित्रा चौधरी बनाम भीकत चक्रवर्ती मामले का हवाला देते हुए माना कि बिना विवाह के उत्पन्न शिशु भी भरण-पोषण भत्ता की हकदार है।

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