वट वृक्ष की 108 बार परिक्रमा कर पति की दीर्घायु का मांगा वरदान
निर्जला व्रत करते हुए सुहाग के सुख-समृद्धि व दीर्घायु की कामना करते हुए महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की।

बिलासपुर . मंगलवार की सुबह सुहागिन महिलाएं दुल्हन की तरह सजकर एक थाली में प्रसाद (भीगे हुए चने, आटे से बनी हुई मिठााई, कुमकुम, रोली, मौली, फल, पान का पत्ता, धूप, घी का दीया एक लोटे में जल) लेकर बरगद के पेड़ के नीचे पहुंचीं। बरगद को जल अर्पित करते हुए विधिवत पूजा प्रारंभ की। भीषण धूप में भी अपने सुहाग के दीर्घायु के लिए 108 परिक्रमा करते हुए बरगद पेड़ पर मौली धागा लपेटा। इस दौरान मंत्र जाप करते हुए अपने पति के उज्ज्वल भविष्य की कामना की। वट सावित्री अमावस्या के अवसर पर मंगलवार को सुहागिन महिलाओं ने अखंड सुहाग की कामना का व्रत वट सावित्री किया। निर्जला व्रत करते हुए सुहाग के सुख-समृद्धि व दीर्घायु की कामना करते हुए महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा-अर्चना की। ऐसी मान्यता है कि जिस तरह से सावित्री ने अपने पति सत्यवान के प्राण यमराज से वापस मांग लिए थे। उसी तरह से इस पूजन को करने से अखंड सुहाग का वरदान मिलता है। इसी कामना से यह व्रत सुहागिन महिलाओं ने किया। शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में वट-पीपल के वृक्ष के पास महिलाएं पारंपरिक रूप से पूजन करती नजर आई। साथ ही व्रत की कथा सुनकर आरती की और भजन-कीर्तन करते हुए सुख-समृद्धि की कामना करती रहीं।
READ MORE : रेलवे एप किया लांच, अब आप ऐसे कर सकते हैं टिकट अनारक्षित
चने के आटे का प्रसाद किया ग्रहण : इस व्रत में पूरे दिन व्रत के बाद रात में महिलाएं चने के आटे से बना प्रसाद ग्रहण करती हैं। इसलिए शाम को हर घर में चने से बने आटे के प्रसाद का भोग ग्रहण करते हुए व्रत का पारण किया गया।
पति परमेश्वर की पूजा : सुहागिन महिलाओं ने वट वृक्ष की पूजा के बाद अपने पति के चरण धोकर उनको तिलक लगाकर आशीर्वाद लिया। इसके बाद सभी को भोग का प्रसाद बांटा गया।
READ MORE : 57 लाख कर्ज देकर वसूले 1 करोड़, हथिया ली जमीन, जानें फिर क्या हुआ
अब पाइए अपने शहर ( Bilaspur News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज