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बिलासपुर

नाम मात्र की सुविधाएं, कैसे मिलेगा बी-ग्रेड सिटी का दर्जा

बिलासपुर. शहर में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने में किए गए प्रयास अब तक विफल रहे हैं। हालांकि सुविधाएं मिली हैं, लेकिन वह भी नाममात्र की। शहर का दायरा बढ़ा दिया गया, लेकिन नए क्षेत्र आज भी ग्रामीण क्षेत्रों से कम नहीं हैं। हवाई सेवा शुरू हो गई, लेकिन लाइट लैंडिंग कम शुरू होगी, यह पता नहीं। ऐसे में शहर को बी-ग्रेड सिटी का दर्जा कैसे मिलेगा, इसपर जनप्रतिनिधि एक दूसरे पर दोष मढ रहे हैं।

बिलासपुरOct 02, 2023 / 09:43 pm

KAMLESH RAJAK

नाम मात्र की सुविधाएं, कैसे मिलेगा बी-ग्रेड सिटी का दर्जा

नाम मात्र की सुविधाएं, कैसे मिलेगा बी-ग्रेड सिटी का दर्जा

लोगों के जीवन स्तर उंचा होने के साथ बुनियादी सुविधाएं होने के बाद व्यवस्थित आधारभूत ढांचे होने के बाद शहर की ग्रेडिंग तय होती है। बीग्रेड सिटी के दर्जे के लिए शहर में सुविधाएं होनी जरूरी है इसमें सीवरेज सिस्टम, स्ट्रीम वॉटर ड्रेनेज, सड़कों की स्थिति, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट,जनसंख्या, समेत सारी तमाम सुविधाएं शहर वासियों को मिलनी जरूरी है, शहर में इन सभी सुविधाओं की शुरूआत कई वर्ष पहले हुई थी। इसमें शहर के निकाय क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को मुहैया किया जाना जरूरी है,लेकिन वर्तमान में सारी कवायदें अधूरी हैं। इस बीच शहर को बीग्रेड सिटी का दर्जा
देने के लिए राजनीति दलों के नेताओं ने एक दूसरे पर अधूरे काम को लेकर दोषारोपण ही किया है।

नए क्षेत्र निगम में शामिल लेकिन स्थिति ग्राम पंचायत जैसी

वर्ष 2019 में राज्य शासन ने नगर निगम का विस्तार करते हुए तिफरा नगर पालिका परिषद, सिरगिट्टी व सकरी नगर पंचायत समेत 15 ग्राम पंचायतों को शामिल किया था। नए क्षेत्रों के शामिल किए जाने के बाद यहां विकास के नाम पर नगर निगम ने कोई प्रयास नहीं किया। 4 वर्ष बीतने के बाद भी नए क्षेत्रों की स्थिति ग्राम पंचायतों जैसी है।
स्मार्ट सिटी में शामिल लेकिन स्मार्ट वर्क का पता नहीं
शहर काे वर्ष 2018 में स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया था। पिछले 5 वर्षों से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुए निर्माण कार्य आज भी जारी हैं। पुराने स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रोजेक्ट में से कुछ को ही पूरा किया गया, जिसमें महाराणा प्रताप फ्लाई ओवर, व्यापार विहार ,मिट्टी तेल गली और मंगला चौक से मंगला चौक स्मार्ट रोड शामिल है। इसके साथ ही शहर के भीतर सेन्ट्रल लाइब्रेरी, एकमात्र मल्टीलेवल कार पार्किंग को पूरा किया गया। यह सभी प्रोजेक्ट तय समय से नहीं हुए और निर्माण में लेटतीफी हुई। वहीं आज भी दो मल्टीलेवल पार्किंग, स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, अरपा रिवर फ्रंट डेवलप्मेंट प्रोजेक्ट समेत कई प्रोजेक्ट अधूरे हैं।

एसटीपी प्लांट बना, लेकिन सीवर सिस्टम अधूरा

शहर में सीवरेज प्रोजेक्ट का काम वर्ष 2010 में शुरू हुआ था। प्रोजेक्ट के पूरा होने से पहले ही शहर के दोमुहानी और चिल्हाटी में एसटीपी यानि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बना लिया गया था। 13 वर्षों बाद भी सीवरेज प्रोजेक्ट अधूरा है और ट्रीटमेंट प्लांट से नालियों का पानी फिल्टर कर नदी में बहाया जा रहा है। वहीं नदी में दूषित जल जाने से रोकने के लिए मंगला में एक और कोनी में 2 एसटीपी प्लांट का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है।
सीवरेज, अमृत मिशन समेत कई योजनाओं को भाजपा शासन काल में लागू किया गया था। यह सभी योजनाएं फ्लाप साबित हुई । इसके साथ ही स्मार्ट सिटी के अधूरे काम भी कांग्रेस शासन काल में पूरे किए जा रहे हैं। काम समय पर पूरे किए गए होते जो शहर को बीग्रेड सिटी का दर्जा मिल जाता।
शेख नजीरूद्दीन
अध्यक्ष नगर निगम
वर्जन..

ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल कर निगम का दायरा बढ़ा तो लिया गया, लेकिन नगर निगम जैसी सुविधाएं कांग्रेस शासन काल में नहीं मिल पा रही हैं। लोगों को ग्राम पंचायत के समय जो सुविधाएं मिल रही थी उससे भी बदतर स्थिति है। पहले लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिलता था, लेकिन निगम में शामिल करने के बाद भी यह भी बंद हो गया है। विकास कार्य नहीं किए जाने के कारण बीग्रेड सिटी का दर्जा नहीं मिल पाया है।
धरमलाल कौशिक
विधायक, बिल्हा
सुविधाएं नाम मात्र की, कैसे मिलेगा बी-ग्रेड सिटी का दर्जा
0. हवाई सेवा शुरू, लेेकिन नाइट लैंडिंग नहीं, शहर का दायरा बड़ा, लेकिन नए क्षेत्र आज भी ग्रामीण क्षेत्र से कम नहींबिलासपुर. शहर में रहने वाले लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने में किए गए प्रयास अब तक विफल रहे हैं। हालांकि सुविधाएं मिली हैं, लेकिन वह भी नाममात्र की। शहर का दायरा बढ़ा दिया गया, लेकिन नए क्षेत्र आज भी ग्रामीण क्षेत्रों से कम नहीं हैं। हवाई सेवा शुरू हो गई, लेकिन लाइट लैंडिंग कम शुरू होगी, यह पता नहीं। ऐसे में शहर को बी-ग्रेड सिटी का दर्जा कैसे मिलेगा, इसपर जनप्रतिनिधि एक दूसरे पर दोष मढ रहे हैं।
लोगों के जीवन स्तर उंचा होने के साथ बुनियादी सुविधाएं होने के बाद व्यवस्थित आधारभूत ढांचे होने के बाद शहर की ग्रेडिंग तय होती है। बीग्रेड सिटी के दर्जे के लिए शहर में सुविधाएं होनी जरूरी है इसमें सीवरेज सिस्टम, स्ट्रीम वॉटर ड्रेनेज, सड़कों की स्थिति, सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट,जनसंख्या, समेत सारी तमाम सुविधाएं शहर वासियों को मिलनी जरूरी है, शहर में इन सभी सुविधाओं की शुरूआत कई वर्ष पहले हुई थी। इसमें शहर के निकाय क्षेत्र में बुनियादी सुविधाएं भी लोगों को मुहैया किया जाना जरूरी है,लेकिन वर्तमान में सारी कवायदें अधूरी हैं। इस बीच शहर को बीग्रेड सिटी का दर्जा
देने के लिए राजनीति दलों के नेताओं ने एक दूसरे पर अधूरे काम को लेकर दोषारोपण ही किया है।

नए क्षेत्र निगम में शामिल लेकिन स्थिति ग्राम पंचायत जैसी

वर्ष 2019 में राज्य शासन ने नगर निगम का विस्तार करते हुए तिफरा नगर पालिका परिषद, सिरगिट्टी व सकरी नगर पंचायत समेत 15 ग्राम पंचायतों को शामिल किया था। नए क्षेत्रों के शामिल किए जाने के बाद यहां विकास के नाम पर नगर निगम ने कोई प्रयास नहीं किया। 4 वर्ष बीतने के बाद भी नए क्षेत्रों की स्थिति ग्राम पंचायतों जैसी है।
स्मार्ट सिटी में शामिल लेकिन स्मार्ट वर्क का पता नहीं
शहर काे वर्ष 2018 में स्मार्ट सिटी में शामिल किया गया था। पिछले 5 वर्षों से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत शुरू हुए निर्माण कार्य आज भी जारी हैं। पुराने स्मार्ट सिटी लिमिटेड के प्रोजेक्ट में से कुछ को ही पूरा किया गया, जिसमें महाराणा प्रताप फ्लाई ओवर, व्यापार विहार ,मिट्टी तेल गली और मंगला चौक से मंगला चौक स्मार्ट रोड शामिल है। इसके साथ ही शहर के भीतर सेन्ट्रल लाइब्रेरी, एकमात्र मल्टीलेवल कार पार्किंग को पूरा किया गया। यह सभी प्रोजेक्ट तय समय से नहीं हुए और निर्माण में लेटतीफी हुई। वहीं आज भी दो मल्टीलेवल पार्किंग, स्पोर्ट्स काम्प्लेक्स, अरपा रिवर फ्रंट डेवलप्मेंट प्रोजेक्ट समेत कई प्रोजेक्ट अधूरे हैं।

एसटीपी प्लांट बना, लेकिन सीवर सिस्टम अधूरा

शहर में सीवरेज प्रोजेक्ट का काम वर्ष 2010 में शुरू हुआ था। प्रोजेक्ट के पूरा होने से पहले ही शहर के दोमुहानी और चिल्हाटी में एसटीपी यानि सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बना लिया गया था। 13 वर्षों बाद भी सीवरेज प्रोजेक्ट अधूरा है और ट्रीटमेंट प्लांट से नालियों का पानी फिल्टर कर नदी में बहाया जा रहा है। वहीं नदी में दूषित जल जाने से रोकने के लिए मंगला में एक और कोनी में 2 एसटीपी प्लांट का निर्माण अब तक नहीं हो पाया है।
सीवरेज, अमृत मिशन समेत कई योजनाओं को भाजपा शासन काल में लागू किया गया था। यह सभी योजनाएं फ्लाप साबित हुई । इसके साथ ही स्मार्ट सिटी के अधूरे काम भी कांग्रेस शासन काल में पूरे किए जा रहे हैं। काम समय पर पूरे किए गए होते जो शहर को बीग्रेड सिटी का दर्जा मिल जाता।
शेख नजीरूद्दीन
अध्यक्ष नगर निगम

ग्रामीण क्षेत्रों को शामिल कर निगम का दायरा बढ़ा तो लिया गया, लेकिन नगर निगम जैसी सुविधाएं कांग्रेस शासन काल में नहीं मिल पा रही हैं। लोगों को ग्राम पंचायत के समय जो सुविधाएं मिल रही थी उससे भी बदतर स्थिति है। पहले लोगों को मनरेगा के तहत रोजगार मिलता था, लेकिन निगम में शामिल करने के बाद भी यह भी बंद हो गया है। विकास कार्य नहीं किए जाने के कारण बीग्रेड सिटी का दर्जा नहीं मिल पाया है।
धरमलाल कौशिक
विधायक, बिल्हा

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