scriptकितने भी सफल क्यों न हो जाएं, पर माता- पिता के संस्कारों को न छोड़ें | No matter how successful, but do not leave the parents' sacraments | Patrika News
बिलासपुर

कितने भी सफल क्यों न हो जाएं, पर माता- पिता के संस्कारों को न छोड़ें

उन्होंने कहा कि आप लोग तय मानिए जितनी बड़ी मुश्किलें सामने है, उतनी बड़ी सफलता मिलनी है।

बिलासपुरMay 11, 2018 / 12:24 pm

Amil Shrivas

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बिलासपुर . कितने भी सफल क्यो न हो जाए पर माता-पिता के दिए संस्कारों को कभी न भूलें । यदि संस्कार साथ रहें तो सफलता स्थाई रहती है। कलेक्टर पी दयानंद ने बच्चों को सीख देते हुए उक्त बातें कहीं। उन्होंने कहा कि जो भी लक्ष्य बनाया है उसे पूरा करने में अभी से जुट जाएं। उन्होंने गुरुवार को दसवीं और बारहवीं में मेरिट में आए छात्र.छात्राओं को अपने निवास पर नाश्ते पर बुलाया। दयानंद ने बच्चों के साथ बैठकर नाश्ते पर चर्चा की । उनकी सफलता पर शुभकामनाएं दी । उन्होंने कहा कि आप लोग तय मानिए जितनी बड़ी मुश्किलें सामने है, उतनी बड़ी सफलता मिलनी है। उन्होंने कहा कि दसवीं और बारहवीं की मेरिट में 13 लोगों ने आकर बिलासपुर का नाम रोशन किया है। ये है मेरिट में आने वालों की पृष्टभूमि : बारहवीं कक्षा की परीक्षा मेरिट में दसवीं रैंक पर आने वाली सुरुचि ने बताया कि उनके पिता नहीं है। उनकी मां मजदूरी करके घर का खर्च चलाती हैं। दसवीं में छठी रैंक पर आने वाली तनु यादव ने बताया कि उनके पिता रतनपुर में टेलरिंग का काम करके परिवार का भरणपोषण करते हैं। बारहवीं के नवीं रैंक में आने वाले शुभम विश्वकर्मा ने बताया कि उनके पिता किराए पर दुकान लेकर वेल्डिंग का काम कर रहे हैं। बारहवीं की प्रदेश में सेकेंड टॉपर संध्या कौशिक ने बताया कि उनके पिता वाहन चालक हैं।
इच्छाशक्ति की जरूरत : कलेक्टर ने कहा कि आपकी पृष्ठभूमि बताती है कि सफल बनने के लिए इच्छाशक्ति की आवश्यकता है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के बावजूद सफलता पाना आप सबकी मेहनत का परिणाम है। संघर्षों से तप कर ही आप सब खरा सोना बनने वाले हैं।
कमजोरी के बीच एग्जाम फाइट : बच्चों ने भी कलेक्टर से उनके यूपीएससी की तैयारी के दौरान आने वाली कठिनाइयों के बारे में पूछा। दयानंद ने बच्चों को बताया कि मेन्स एक्जाम के पहले उनकी तबीयत बिगड़ गई थी। इसके चलते मेन्स दे पाना मुश्किल लग रहा था। हमने हिम्मत नहीं हारी, जिससे सफलता मिली। जीवन में हर क्षण मुश्किलें आती हैं लेकिन धैर्य और दृढ़ इच्छाशक्ति के बदौलत किसी भी मुश्किल से पार पाया जा सकता है।

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