ऐसे में मामूली इलाज और छोटे बड़े ऑपरेशन के लिए मरीजों को सिम्स जाना पड़ा लेकिन वहां कुछ एमरजेंसी ऑपरेशन को छोड़ अन्य ऑपरेशन बंद हैं। ऐसे में मरीज निजी अस्पतालों की ओर रुख करने लगे जहां मरीजों को हजारों लाखों रुपए का भुगतान कर ऑपरेशन कराने के लिए मजबूर होना पड़ा।
गौरतलब है कि 15 मई को जिला अस्पताल को प्रशासन ने कोविड मरीजों को भर्ती करने और इलाज के लिए आरक्षित कर दिया जिसके बाद के सभी वार्डों में भर्ती मरीजों को मातृ-शिशु अस्पताल में शिफ्ट कर ओपीडी भी वहां लगाना शुरू कर दिया गया। ऐसे में जिम्मेदार अफसर और डॉक्टर मात्र ओपीडी ही शिफ्ट किए जबकि इलाज और ऑपरेशन के तमाम मशीनों को पुरानी बिल्डिंग में ही कैद करके रख दिया गया।
ऐसे में जिला अस्पताल में गंभीर बीमारी जिसमें ऑपरेशन की आवश्यकता हो उन मरीजों के आने पर उन्हें ओपीडी में जांच के बाद हायर सेंटर में रेफर कर दिया जाता है। मरीज रायपुर जाना नहीं चाहते ऐसे में मजबूरन उन्हें निजी अस्पतालों में पहुंच कर अपना इलाज कराना पड़ रहा है। ऐसे में सात माह में ही तकरीबन 1920 से अधिक अपरेशन जिला अस्पताल में नहीं हो पाए जिसके जिम्मेदार कहीं न कहीं जिला प्रशासन और जिला अस्पताल के डॉक्टर अफसर हैं।
कोरोना के मरीज बढऩे के कारण आनन फानन में जिला अस्पताल को कोविड अस्पताल बनाया गया जिसके कारण मशीनें वहीं छूट गई हैं। इसके कारण सर्जरी बंद है। शासन से आदेश मिलते ही कुछ न कुछ व्यवस्था की जाएगी।
-डॉ. प्रमोद महाजन,सीएमएचओ