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बिलासपुर

पदमश्री चतुर्वेदी ने जताया दुख कहा दो बार मिला

कौमी एकता के सच्चे पैरौकार थे अटल

बिलासपुरAug 17, 2018 / 05:41 pm

Amil Shrivas

atal bihari vajpayee

पदमश्री चतुर्वेदी ने जताया दुख कहा दो बार मिला

पद्मश्री पंडित श्यामलाल चतुर्वेदी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि न भूतो न भविष्यति उनके जैसे नेता न हुए न होंगे ऐसा लगता है। वे एकदम सहज और सरल थे, सबसे खुशमिजाजी से मिलते। सन् 1997 में उन्होंने दिल्ली में उनसे भेंट की और अपनी पुस्तक भेंट की। इसके बाद सन् 2004 में राजधानी में आयोजित राज्योत्सव समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री ने उन्हें पंडित सुंदरलाल शर्मा पुरस्कार से सम्मानित किया।
भाजपा को ही नहीं पूरे देश को क्षति हुई
भाजपा के जिला कार्यकारिणी सदस्य अनिल कुमार दुुआ के आदर्श कालोनी निवास में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का गत जून 1980 में आगमन हुआ था। कार्यकारिणी सदस्य अनिल कुमार ने कहा कि उनके निधन से केवल भाजपा को ही नहीं पूरे देश को क्षति हुई है।
अटल ने कहा और बन गई पटवा की सरकार
प्रदेश संवाद प्रमुख ने बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के रायगढ़ आगमन के दौरान वे उनकी तीमारदारी में थे, पूर्व प्रधानमंत्री ने यहां आयोजित आदिवासी रैली को देखने की इच्छा जाहिर की, वे एक मारूति वैन का इंतजाम कर अटल बिहारी को आदिवासी रैली दिखाने ले गए। किनारे खड़े होकर रैली देखते रहे तभी भीड़ से कुछ लोगों ने उन्हें पहचान लिया और उनकी तरफ बढ़े तो अटल जी ने वहां से चलने का इशारा किया और हम फिर सर्किट हाउस आ गए। यहां सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि तपती दुपहरी में नंगे पैर बिना चप्पल के रायगढ़ की धरा पर चलकर आदिवासियों ने अपनी भागीदारी निभाई और सकरार के खिलाफ अपने आक्रोश को व्यक्त किया है। आने वाले चुनाव में भाजपा को सरकार बनाने से कोई नहीं रोक सकता। चुनाव हुए और सुंदरलाल पटवा की सरकार बनी।
कौमी एकता के सच्चे पैरौकार थे अटल
हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सीके केशरवानी ने कहा कि अटलजी का जाना एक युग का समापन है। राजनैतिक वैमनस्य के इस दौर में कविमना, सरलहृदया, कौमी एकता के सच्चे पैरोकार और करोडों युवाओं के प्रेरणास्त्रोत रहे। जितने भी अलंकारों का प्रयोग उनके लिए किया जाए, कम ही होगा। अपने सात दशक के सार्वजनिक जीवनकाल के दौरान उन्होंने जो ऐसी मिसाल पेश की, उसका अनुसरण करना चाहिए। मुझे आज भी वो दिन याद है जब मेरे स्कूल के दिनों में उनका एक कार्यक्रम हुआ था, इसमें वो संघ के प्रचार के लिए आए थे। उस समय शहर के संघ प्रचारक बापेजी हुआ करते थे। उनका भाषण सुनकर बच्चे बहुत खुश हुए थे। वे सही मायने में सरस्वती पुत्र थे।
ऐसा विराट व्यक्तित्व राजनीति में दुर्लभ
ओजस्वी भाषा शैली और सौम्य आचरण से पीढिय़ों को मुरीद बनाने वाले अटलजी के बारे में सुदीप्त श्रीवास्तव ने बताया कि ऐसे पुरुष कभी-कभार ही पैदा होते हैं। उनका व्यक्तित्व इतना विराट था कि विरोधी भी उनके आगे नत-मस्तक हो जाते थे। मुझे इस बात की बेहद खुशी है कि बिलासपुर रेल जोन के संबंध में लिखी स्मारिका का विमोचन उन्होंने किया। इतना ही नहीं जोन की स्थापना के बाद आभार व्यक्त करते हुए धन्यवाद ज्ञापन का फैक्स भेजा तो पीएमओ आफिस से 14 सितंबर 1998 को जवाब भी आया। इसमें उन्होंने फैक्स के लिए धन्यवाद दिया था। ऐसी सरलता राजनैतिक परिदृश्य में विरल और लगभग गायब सी ही है।

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