शिकायत होने पर अधिकारियों ने लिया संज्ञान : तत्कालीन आईजी दीपांशु काबरा ने जनवरी 2018 में चार्ज लेने के बाद शिकायत सेल का गठन किया था। पोटली खुली तो अधिकांश शिकायतें ऐसी थी, जिनमें शिकायतकर्ता एफआईआर दर्ज कराने वर्षों से थानों के चक्कर काट रहे थे। आईजी की जांच सेल ने जांच में शिकायतों को सही पाया था। आईजी के आदेश पर 144 मामलों में जिले के अलग-अलग थानों में अपराध दर्ज किए गए। आईजी ने शिकायत लेकर जांच नहीं करने वाले विवेचकों व थानेदारों को नोटिस भी जारी किया था। साथ ही अन्य पेंडिंग शिकायतों की जांच करने के आदेश दिए थे।
अपराधियों को फरार होने का मिल रहा मौका : संगीन मामलों में शिकायत होने के बाद पुलिस की कार्रवाई ढीली होने के कारण अपराधी मौका पाकर फरार हो जा रहे हैं। शिकायत के कई साल बाद पुलिस अपराध दर्ज कर रही है, लेकिन तब तक आरोपी दूर निकल जाते हैं। पुलिस एफआईआर दर्ज करने के बाद आरोपी की तलाश करती है। आरोपी नहीं मिलता तो थक हारकर जांच और केस फाइल बंद कर दी जाती है।