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बिलासपुर

गुरु घासीदास से राष्ट्रपति ने दिया एकता का संदेश, कहा- सभी धर्मों का आदर करना चाहिए

president ramnath kovind: उच्च शिक्षा और शैक्षणिक संस्थानों के कारण बिलासपुर को आज भी न्यायाधानी कहा जाता है : राष्ट्रपति

बिलासपुरMar 02, 2020 / 06:25 pm

Murari Soni

गुरु घासीदास से राष्ट्रपति ने दिया एकता का संदेश, कहा- सभी धर्मों का आदर करना चाहिए

गुरु घासीदास से राष्ट्रपति ने दिया एकता का संदेश, कहा- सभी धर्मों का आदर करना चाहिए

बिलासपुर. गुरु घासीदास ने जीवन भर समाज के कमजोर लोगों के अधिकारियों के लिए संघर्ष किया। उन्होंने आपस में मेलजोल व समाज में भाईचारे बनाएं रखने का संदेश दिया। उनके बताएं संदेश मनखे-मनखे एक समान आज पूरे विश्व में फैला हुआ है। उक्त बातें भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरु घासीदास विश्वविद्यालय के आठवें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि के आसंदी में कही।
उन्होंने कहा कि सोमवार को दीक्षांत समारोह का आयोजन रखना बड़ा शुभ हैं। हम सब जानते हैं कि गुरु घासीदास जी का जन्म 1756 ईस्वी में सोमवार को दिन ही हुआ था। जो उनके मानने वालों के लिए खुशी का दिन हैं। उन्होंने पूरे विश्व को एकता के सूत्र में पिराने का कार्य किया हैं। वे कहते थे कि सत्य ही मानव का आभूषण हैं। सतनाम के स्मरण और मनन कर सभी धर्मों का आदर करना चाहिए। राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले बार जब 2017 में छत्तीसगढ़ आया था तो मुझे गुरु घासीदास जी की पावन भूमि गिरौधपुरी धाम के यात्रा करने का सुअवसर प्राप्त हुआ। जहां मुझे शांति और सद्भाव का संदेश मिला। उनके अनुयायियों ने मुझे जैत खंभ की प्रतिभूमि भेंट स्वरुप प्रदान की थी। जिसे मैंने राष्ट्रपति भवन में रखा है।
प्रकृति सौंदर्य छत्तीसगढ़ की पहचान है

राष्ट्रपति ने उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में प्रकृति सौंदर्य, वनसंपदा प्रचूर मात्रा में है। यहां कि भूमिक विशेष लोगों की कर्म भूमि हैं जो अलग-अलग क्षेत्रों में इस राज्य का नाम ऊंचाई पर लेकर गए हैं। यहां की लोक कला जैसे पंथी, सुआ और करमा को पूरी दुनिया जानती है। प्राचीन दक्षिण कौशल राष्ट की राजधानी रतनपुर थी। अपनी उच्च शिक्षा और संस्थाओं के कारण ही बिलासपुर को आज भी छत्तीसगढ़ की न्यायाधानी कहा जाता है।
क्वीनी यादव अब क्वीन यादव कहलाएंगी

राष्ट्रपति ने बेटियों की सराहना करते हुए कहा कि स्वर्ण पदक पाने वालों में बेटियों की संख्या 44 है। वहीं 10 में से 7 मेडल बेटियों ने हासिल की है। जिसमें एक बेटी क्वीनी यादव ने दो मेडल अपने नाम किया। अब मेहनत के बल पर दो स्वर्ण पदक पाने के कारण आज से वह क्वीन यादव के नाम से जानी जाएगी। उन्होंने कहा कि अवसर पर मिलने पर बेटियां हर क्षेत्र में उत्कृष्ठ प्रदर्शन कर सकती है, यह एक सुनहरे भारत की तस्वीर है, जो आज हमें बेटियों के माध्यम से दिख रही है।
शिक्षा का मुख्य उद्देश्य डिग्री पाना ही नहीं

आज जिन छात्रों को शैक्षणिक सफलता मिली हैं वह आपके माता-पिता के मेहतन और गुरु जनों के बताएं गए मार्गदर्शन के कारण ही प्राप्त हुई है। शिक्षा का मुख्य उद्देश्य डिग्री प्राप्त करना नहीं बल्कि एक अच्छा इंसान बनना है। जब एक अच्छा इंसान होगा तो वह अच्छा डॉक्टर, अच्छा टीचर, अच्छा विद्यार्थी होगा। अच्छा इंसान पिता, पति भी हो सकता है। इसी प्रकार बेटियां भी अच्छा इंसान बन सकती है। जो अच्छी बेटी, पत्नी, मां और बहन हो सकती है। उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा ही समाज के लिए हितकारी होती है। उन्होंने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि विद्यार्थियों को ईमानदारी, संयम, कानून के प्रति सम्मान तथा समय का सद्पयोग करने से जैसे जीवन मूल्यों की शिक्षा देनी चाहिए। ऐसे विद्यार्थी ही देश के एक अच्छे नागरिक बनेंगे। आज दुनिया में भारत एक आधुनिक राष्ट्र के रुप में पहचानी जा रही है। इसके लिए देशवासी और हमारे युवा बधाई के पात्र है।
विलुप्त होती भाषाओं को संरक्षित करना अच्छी पहल

गुरु घासीदास विश्वविद्यालय द्वारा हमारे आदिवासी बेटी-बेटियों के जीवन में शिक्षा की ज्योति का प्रसार कर रही है। विश्वविद्यालय में शिक्षा को बढ़ावा देने शोध व नवाचार जैसे अन्य विषयों पर बच्चों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वहीं विलुप्त हो रही भाषाओं को संरक्षित करना बहुत जरुरी है। क्योंकि भाषाओं को बचाने से ही हमारे परंपराओं और संस्कृति की रक्षा होती है।

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