परिवहन विभाग की ओर से इन वाहनों को नजरअंदाज किया जाता है। यही कारण है कि व्यवसायिक क्षेत्र में भी बड़े व छोटे वाहन नियमों को तोड़ते हुए धड़ल्ले से सड़कों पर दौड़ रहे हैं। इसके अलावा सरकारी विभाग जैसे नगर निगम, सिचाई विभाग, स्वास्थ्य विभाग, पुलिस विभाग सहित विभागों के सरकारी वाहन बिना फिटनेस की सड़कों पर दौड़ रही है। मजेदार बात यह है खटारा वाहनों की फिटनेस कराने की आेर ध्यान विभाग दे रही है न ही आरटीओ इसकी जांच करा रही है।
नियम हर दो साल में जांच करने का
पुराने एवं नए वाहनों की फिटनेस जांच हर दो साल में परिवहन विभाग में होती है। जांच के बाद ही विभाग फिटेनस सर्टिफिकेट जारी करता है। इसके लिए गाड़ी मालिकों को 350 रुपये से 900 रुपये तक देने पड़ते हैं। गाडिय़ों की साइज के अनुसार फिटनेस का शुल्क लिया जाता है।
निर्धारित समय में फिटनेस नहीं कराने पर निर्धारित शुल्क के साथ जुर्माना तक वसूल किया जाता है। फिटनेस नहीं कराने वाले गाड़ी मालिकों से चार से पांच हजार रुपये का जुर्माना वसूल करते हैं। इसके बाद भी लोग अपनी गाडि़यों को खटारा गाडि़यों को दौड़ते हैं।