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बिलासपुर

शोध में आया, एशिया से अफ्रीका तक गायब हुए कौवे, पर कोई मुकम्मल एक वजह नहीं मिली

Research on crows: आपने तोते उड़ने की कहावत सुनी होगी लेकिन बिलासपुर से कौवे उड़ गए हैं

बिलासपुरSep 16, 2019 / 11:50 am

Murari Soni

शोध में आया, एशिया से अफ्रीका तक गायब हुए कौवे, पर कोई मुकम्मल एक वजह नहीं मिली

शोध में आया, एशिया से अफ्रीका तक गायब हुए कौवे, पर कोई मुकम्मल एक वजह नहीं मिली

बिलासपुर. आपने तोते उड़ऩे की कहावत सुनी होगी लेकिन बिलासपुर से कौवे उड़ गए हैं। एक अध्ययन के अनुसार पूरे देश में 1300 पक्षियों की प्रजातियां हैं इसमें से लगभग 300 प्रजाति छत्तीसगढ़ में पाई जाती है। वहीं बिलासपुर संभाग में अध्ययन दल को तो ऐसे पक्षी भी मिले जो यहां पाए ही नहीं जाते हैं, जिसमें शिवा हंस, लाल बगुला, डोबारू, प्लेंटिव कुकू आदि
शामिल हैं।
यानि ये मेहमान थे पर हमारे अपने कौवे यहां से जा चुके हैं। पितृपक्ष आरंभ हो चुका है अब कौवों की तलाश की जा रही है, नदी घाटों व तालाब के किनारों पर घंटो पितर का पिंड रखा रहता है पर कौवे या तो आते नहीं या बड़ी मुश्किल से आते हैं। तोते उड़ते तो सुना था पर कौवे उड़ गए ये अब देखा जा रहा है।
क्यों है कौवों का जाना चिंताजनक
कौवे ऐसे पक्षी हैं जिनके साथ हमारी धार्मिक मान्यतांए जुड़ी हैं, कागभुसुंडी को हर कोई जानता व समझता है। पितृपक्ष में इनकी महत्ता काफी बढ़ जाती है। घर के मुंडेर पर यदि काग उचरता (विशेष ध्वनि ) है तो मानते हैं कि कोई संदेश या मेहमान आने वाला है। कौवे का रहवास मनुष्यों के साथ काफी घुला मिला है किसी भी परिवेश में वो रह लेते हैं, इसके बाद भी इनका शहर से उड़ जाना चिंताजनक है।
कुछ ने दिया है ध्यान
गौरैया के गायब होने के बाद कुछ लोगों ने कौवों पर भी ध्यान दिया। यदि हम ग्लोबली बात करें तो यूएस के यूनिवर्सिटी ऑफ आईयोवा के प्रोफेसर पॉल आर ग्रीनॉफ ने एक स्टडी की है। जिसमे कॉमन इंडियन हाउस क्रो के गायब होने के कारण तलाशे गए हैं। उनके अनुसार ये स्थिति सिर्फ भारत में ही नहीं है बल्कि अफ्रीका, साउथ एशिया और साउथईस्ट एशिया में भी ये देखने को मिल रहा है। उनका कहना है कि कौवे काफी बुद्धिमान और खुद को किसी भी वातावरण में ढालने को सक्षम होते हैं, इसके बाद भी शहरीकरण के कारण उनकी संख्या खत्म हो रही है।
एक्सपर्ट व्यू
कौवे का इकोनॉमिक इंपोर्टेंस इस समाज में काफी है। धार्मिक मान्यता के अलावा मनुष्यों के साथ को-हेबिटेंस हैं। वर्तमान में कौवों की फीडिंग हेबिट यानि भोजन की व्यवस्था शहरों में प्रभावित हुई है। इसके अलावा इनका नेस्टिंग सरवाईवल रेट भी काफी कम हो गया है। इनके घोंसलों के लिए शहर में जगह नहीं है। इसके कारण कौवों की संख्या घटती जा रही है। हलांकि टेक्नोलॉजी का इनपर क्या असर हुआ है इसका कोइ रिसर्च अभी तक तो नहीं हुआ है लेकिन ये किसी भी परिस्थिति में सर्वाइव करने वाले जीव हैं इसके बाद भी इनका गायब होना या इस शहर से उड़ जाना चिंताजनक है।
शहर में हो बर्ड फीडिंग सेंटर: विशेषज्ञों से बात करने पर उनका कहना था कि हमारे परिवेश से कौवे गायब रहे हैं इसको बकायदा नोटिस किया जा रहा है। कौवे ही नहीं अन्य पक्षी भी धीरे-धीरे शहरी क्षेत्र से गायब हो रहे हैं इस पर ध्यान देने की जरूरत है। उनका कहना था कि शहर में लोगों ने दाना-पानी रखना छोड़ दिया नतीजा ये पक्षी यहां से पलायित हो गए। अन्य देशों की तरह हमारे शहर में भी बर्ड फीडिंग सेंटर होना चाहिए ताकि इन पक्षियों को भोजन मिले और ये यहां कलरव कर सकें।

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